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गर्मियों में गहरी जुताई से बढ़ेगा उत्पादन, घटेगी लागत: कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह, जानें 8 बड़े लाभ

गहरी जुताई से होगी उन्नत खेती जाने 8 फायदे
गहरी जुताई से होगी उन्नत खेती जाने 8 फायदे

किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने जिले के किसानों को ग्रीष्मकाल में खेतों की गहरी जुताई करने की सलाह दी है। विभाग के अनुसार, इस कृषि पद्धति से मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि, फसल उत्पादन में बढ़ोतरी और खेती की लागत में कमी आती है।

क्या है ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई What is Summer Deep Tillage?

गर्मी के मौसम में की जाने वाली यह जुताई रबी फसल की कटाई के बाद और खरीफ फसल की बुआई से पहले की जाती है। इसे ऑफ सीजन जुताई भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में खेत की मिट्टी को गहराई तक पलटा और ढीला किया जाता है।

गहरी जुताई से होगी उन्नत खेती जाने 8 फायदे:

पाटन विकासखंड के ग्राम ककरहटा में आयोजित एक कार्यक्रम में उप संचालक कृषि डॉ. एस. के. निगम, सहायक संचालक रवि आम्रवंशी और अनुविभागीय कृषि अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने किसानों को गहरी जुताई के लाभों की जानकारी दी।

  1. खरपतवार नियंत्रण: जुताई से खरपतवार के बीज और राइजोम सतह पर आकर धूप में नष्ट हो जाते हैं, जिससे खरीफ फसल में खरपतवारनाशी की आवश्यकता कम होती है। 
  2. कीट व रोग नियंत्रण: मिट्टी में छिपे कीटों के अंडे, लार्वा और रोगजनक तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं।
  3. जल संचयन: ढीली मिट्टी बारिश का पानी बेहतर तरीके से सोखती है, जिससे मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनी रहती है। 
  4. जड़ विकास: मिट्टी की कठोर परत टूटने से पौधों की जड़ें गहराई तक फैलती हैं और उनका विकास बेहतर होता है।
  5. सूक्ष्मजीवों की सक्रियता: मिट्टी में वायुसंचार बढ़ने से लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधि भी बढ़ती है।
  6. पोषक तत्वों की उपलब्धता: फसल अवशेष व कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में मिलकर पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते हैं।
  7. मिट्टी कटाव में कमी: खुरदरी सतह बारिश के बहाव को कम करती है और कटाव को रोकती है।
  8. लवणीय मिट्टी में सुधार: यह हानिकारक लवणों को नीचे की परतों में धकेलने में सहायक होती है।

संभावित नुकसान भी जानना जरूरी: सहायक संचालक रवि आम्रवंशी ने यह भी बताया कि अत्यधिक गहरी जुताई से मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को नुकसान हो सकता है। साथ ही बार-बार गहरी जुताई से कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण होकर उनकी मात्रा कम हो सकती है। इसके अलावा, गहरी जुताई के लिए अधिक शक्तिशाली ट्रैक्टर व उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिससे लागत बढ़ती है। यदि समय पर बारिश न हो तो मिट्टी सूखने की संभावना भी रहती है।

हर तीन साल में करें गहरी जुताई: डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने किसानों से आग्रह किया कि वे हर तीन वर्ष में एक बार खेत की गहरी जुताई जरूर करें। उन्होंने कहा कि सामान्य जुताई केवल 15-20 सेमी गहराई तक होती है, जिससे नीचे एक कठोर परत बन जाती है। इससे न तो पानी और हवा नीचे जा पाते हैं और न ही पौधों की जड़ें।

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