प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में केंद्र एवं राज्य सरकारें कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं। किसानों की आय बढ़ाने, खेती को आधुनिक बनाने और नवीन तकनीकों को खेतों तक पहुँचाने के उद्देश्य से अनेक प्रभावशाली योजनाएं चलाई जा रही हैं। "आत्मा योजना" (आत्मनिर्भर कृषि तकनीकी प्रबंधन अभिकरण) भी इन्हीं योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के ग्राम वफापुर के एक कृषक ने आत्मा योजना से लाभान्वित होकर जैविक खेती की ओर अग्रसर हुए हैं। कृषक ने बताया कि उन्होंने आत्मा योजना के अंतर्गत उज्जैन, देवास और इंदौर में आयोजित प्रशिक्षण भ्रमण में भाग लिया। इस दौरान उन्हें वर्मी कंपोस्ट निर्माण, जैविक खेती और प्राकृतिक उर्वरकों के महत्व की जानकारी मिली।
प्रशिक्षण के बाद लौटकर उन्होंने अपने खेत में वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित की। पहले छोटे स्तर पर शुरुआत की, लेकिन लाभ देखकर धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाया। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से उनकी मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता लगभग समाप्त हो गई। इससे फसल की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन लागत में कमी आई, जिससे उनका लाभ भी बढ़ा।
अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणा स्रोत: आज यह कृषक अपने गांव में कई किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। वे स्वयं वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी इसके उपयोग के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसानों को सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिले, तो वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। उनका यह अनुभव दर्शाता है कि आत्मा योजना किसानों के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है।
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