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भारत बना दुनिया का पहला देश जिसने विकसित की जीनोम-संपादित धान की दो नई किस्में किस्में, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन

धान की किस्में
धान की किस्में

भारत ने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया की पहली दो जीनोम-संपादित चावल की दो किस्मे- 'डीआरआर धान 100 (कमला)' और 'पूसा डीएसटी राइस 1' को सफलतापूर्वक विकसित किया है। आईसीएआर इन नई किस्मों को कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय में बढोतरी करने वाला बता रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में आयोजित एक समारोह में यह घोषणा की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों और किसानों की उपस्थिति रही।

भारत ने विकसित की जीनोम-संपादित धान की ज्यादा उपज वाली किस्में:

'डीआरआर धान 100 (कमला)' और 'पूसा डीएसटी राइस 1' नामक ये दोनों चावल की किस्में CRISPR-Cas आधारित जीनोम एडिटिंग तकनीक से विकसित की गई हैं। इन किस्मों में 19% तक अधिक उत्पादन क्षमता, 20% तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, 7,500 मिलियन घन मीटर सिंचाई जल की बचत व सूखा, लवणता और जलवायु तनावों के प्रति बेहतर सहनशीलता जैसे गुण हैं।

माइनस 5, प्लस 10' फॉर्मूले से बढ़ेगा उत्पादन:

श्री चौहान ने कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। ये नई किस्में कृषि क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी।" उन्होंने यह भी कहा कि इन किस्मों का विकास पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा और देश को "विश्व की फूड बास्केट" बनाने की दिशा में मजबूत कदम है।
कृषि मंत्री ने माइनस 5 और प्लस 10 फॉर्मूले की जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत धान की खेती के क्षेत्र को 5 मिलियन हेक्टेयर तक घटाकर उसी क्षेत्र में 10 मिलियन टन अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इससे दालों और तिलहनों की खेती के लिए स्थान उपलब्ध होगा।

जीनोम एडिटेड धान किस्मों के वैज्ञानिकों को मिला विशेष सम्मान:

श्री चौहान ने इन नई किस्मों के विकास में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित भी किया। डीडीआर धान 100 (कमला) के लिए डॉ. सत्येन्द्र कुमार मंगरुथिया, डॉ. आर.एम. सुंदरम सहित अन्य वैज्ञानिकों और पूसा डीएसटी धान 1 के लिए डॉ. विश्वनाथन सी, डॉ. गोपालकृष्णन एस, डॉ. शिवानी नगर सहित वैज्ञानिकों को सम्मान प्रदान किया गया।

कृषि में जीनोम एडिटिंग के लिये 500 करोड़ रुपये का बजट: सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में ₹500 करोड़ का प्रावधान कृषि फसलों की जीनोम एडिटिंग के लिए किया है। आईसीएआर अन्य फसलों जैसे तिलहन व दलहनों में भी जीनोम एडिटिंग अनुसंधान प्रारंभ कर चुका है। इन दोनों किस्मों का उपयोग आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों में किया जाएगा।

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