एमपी सरकार ने पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की इकाई की स्थापना हेतु अधिकतम ₹42 लाख तक की लागत स्वीकृत की गई है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक का मध्यप्रदेश का निवासी होना तथा डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
यह योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए खुली है। आवेदक की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। प्रशिक्षण के लिए सरकारी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से डेयरी फार्मिंग का प्रमाणपत्र अनिवार्य है। सरकार प्रशिक्षण प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश अलग से जारी करेगी। आवेदन केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा।
आवेदक के पास न्यूनतम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होनी आवश्यक है। पारिवारिक संयुक्त भूमि को भी उपयोग में लाया जा सकता है, बशर्ते सभी हिस्सेदारों की लिखित सहमति प्राप्त हो। हर इकाई में केवल एक ही नस्ल के पशु जैसे सभी गौवंश या सभी भैंसवंश-शामिल होंगे। यदि कोई आवेदक अधिकतम आठ इकाइयों तक का लाभ लेना चाहता है, तो वह भिन्न-भिन्न नस्लों जैसे उन्नत गाय, संकर गाय या भैंस की इकाइयों का चयन कर सकता है।
योजना में पहले से दुग्ध संघों को दूध आपूर्ति कर रहे पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, उन लाभार्थियों को भी वरीयता दी जाएगी जो दुग्ध संघ के मौजूदा या नए मिल्क रूट पर आते हों। एक हितग्राही द्वारा सभी ऋण चुकता करने के बाद वह योजना का पुनः लाभ ले सकता है, किंतु दो ऋणों के बीच न्यूनतम दो वर्षों का अंतर अनिवार्य होगा।
सब्सिडी और ऋण सहायता: योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए कुल परियोजना लागत का 33%, जबकि अन्य सभी वर्गों के लिए 25% पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह सब्सिडी तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि के बाद एकमुश्त दी जाएगी और इस पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाएगा। डेयरी इकाई का संचालन अधिकतम 7 वर्षों तक या ऋण की समाप्ति तक करना होगा। ऋण की राशि चार चरणों में वितरित की जाएगी और अगला ऋण केवल पूर्व ऋण का पुनर्भुगतान होने पर ही स्वीकृत होगा। ऋण की समयावधि से पहले भी भुगतान की अनुमति होगी।
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