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औषधीय खेती के लिए बनेगा क्लस्टर मॉडल, किसानों को मिलेगा वित्तीय सहयोग

औषधीय पौधों की खेती
औषधीय पौधों की खेती

कृषि भवन, नई दिल्ली में सोमवार को औषधीय पौधों की खेती और उनके उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक परामर्श बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के सचिवों की सह-अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB), राज्य बागवानी मिशन, ICAR, राज्य औषधीय पादप बोर्डों, प्रगतिशील किसानों और औषधीय पौधों से जुड़े निजी क्षेत्र के अग्रणी उद्यमियों ने भाग लिया।

औषधीय पौधों के लिए उत्पादन और व्यापार में बढ़ोतरी की संभावना:

बैठक की शुरुआत में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि देश में औषधीय पौधों का घरेलू उत्पादन, अंतर-राज्यीय व्यापार और निर्यात बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने आयुष मंत्रालय और कृषि विभागों के बीच बेहतर समन्वय तथा राज्य औषधीय पादप बोर्डों के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि औषधीय महत्व के पौधों को समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH) में शामिल किया गया है। श्री चतुर्वेदी ने औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मिशन मोड में कार्यक्रम चलाने, बेहतर खेती की तकनीकों और सफल प्रथाओं की पहचान करने की आवश्यकता जताई।

आयुष क्षेत्र में 8 गुना वृद्धि AYUSH Sector Witnesses 8-Fold Growth:

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि औषधीय पौधों से संबंधित क्षेत्र में तीव्र वृद्धि की संभावनाएं हैं। पिछले दस वर्षों में आयुष निर्माण क्षेत्र में आठ गुना वृद्धि हुई है और इसका निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद से आयुष उत्पादों और औषधीय पौधों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक रूप से अत्यंत संभावनाशील हो गया है।

औषधीय पौधों के क्षेत्र में व्यापक विकास की दिशा में ठोस कदम:

  1. क्षेत्र विशेष के अनुरूप औषधीय पौधों के क्लस्टर विकास की संभावनाओं का अन्वेषण।
  2. किसानों और उद्योग के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना, ताकि सुनिश्चित खरीद और मूल्य श्रृंखला का निर्माण हो सके।
  3. औषधीय पौधों के लिए समर्पित मंडियों और विपणन प्लेटफार्मों की स्थापना पर चर्चा, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
  4. अनुसंधान, प्रशिक्षण और विस्तार सेवाओं को प्रोत्साहन देना, जिससे सभी हितधारकों की क्षमता में वृद्धि हो।
  5. बैठक के दौरान प्रतिभागियों ने सुझाव दिया कि औषधीय पौधों के लिए फसल-विशेष क्षेत्र चिन्हित कर क्लस्टर बनाए जाएं। इन क्लस्टरों में क्षेत्र विस्तार, उत्पादन, उद्योग साझेदारी, किसान प्रशिक्षण और विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके।

औषधीय पौधों की खेती के लिए वित्तीय प्रोत्साहन: बैठक के समापन पर उद्यानिकी विभाग के संयुक्त सचिव श्री प्रिया रंजन ने कहा कि औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए उपयुक्त नीतिगत हस्तक्षेप और वित्तीय प्रोत्साहनों की पहचान की जानी चाहिए, ताकि किसान इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो सकें।

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