उत्तर प्रदेश सरकार अब सुगंधित और स्वादिष्ट काला नमक चावल की खेती और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। वैज्ञानिक अनुसंधान और आधुनिक तकनीक को मजबूती देने के उद्देश्य से सरकार अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के सहयोग से सिद्धार्थनगर जिले में एक काला नमक चावल अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इस रिसर्च सेंटर से किसानों को खेती में मदद मिलेगी और चावल के निर्यात को भी नई दिशा मिलेगी।
काला नमक चावल, जो अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है, एक गैर-बासमती किस्म है जिसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग भी प्राप्त है। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अब इसके वैज्ञानिक विकास और तकनीकी अनुसंधान पर ज़ोर देना शुरू किया है।
पिछले वर्ष राज्य सरकार ने काला नमक चावल निर्यात विकास बोर्ड की स्थापना की थी। इसके तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 में इस चावल की अधिकतम 1,000 टन तक निर्यात की अनुमति दी है। इससे किसानों को उनकी उपज के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार मिल सकेगा, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि होगी।
किसानों और निर्यातकों को होगा लाभ: सूत्रों के अनुसार, सितंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में केंद्र सरकार द्वारा गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। इसके तहत सिंगापुर और नेपाल को करीब 500 टन चावल निर्यात किया गया था। यूपी के औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' ने बताया कि विशेष विंडो के चलते किसानों और निर्यातकों दोनों को लाभ हुआ।
खेती और निर्यात बढ़ाने की तैयारी: काला नमक चावल की खासियतों को देखते हुए मंत्री नंदी ने कहा कि राज्य सरकार इसकी खेती और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर विचार कर रही है। सरकार नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तलाश में है और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। दुबई में आयोजित खाड़ी खाद्य प्रदर्शनी में भाग लेने वाले निर्यातक दिलीप चौहान ने बताया कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एक खरीदार को परीक्षण के तौर पर 200 किलो चावल भेजा था, जो अब हर महीने नियमित रूप से 50 टन चावल खरीदने की मांग कर रहा है। उत्तर प्रदेश में काला नमक चावल की खेती पूर्वी यूपी के 11 जिलों में होती है।