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सरकार ने तय की गेहूं की नई स्टॉक सीमा, 31 मार्च 2026 तक रहेगा नियंत्रण आदेश प्रभावी

गेहूं स्टॉक सीमा आदेश 2026
गेहूं स्टॉक सीमा आदेश 2026

भारत सरकार ने देशभर में गेहूं पर नई स्टॉक सीमा निर्धारित की है, जो 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी। यह निर्णय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और अनावश्यक जमाखोरी व कृत्रिम मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण के उद्देश्य से लिया गया है। यह आदेश आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।

राज्य में लागू होंगी नई सीमाएं:

मध्यप्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गेहूं के लिए अधिकतम स्टॉक सीमा तय की है।

  1. व्यापारी/थोक विक्रेता: अधिकतम 2000 मीट्रिक टन
  2. रिटेल आउटलेट: प्रति आउटलेट अधिकतम 8 मीट्रिक टन
  3. बिग चेन रिटेलर: प्रत्येक आउटलेट पर 8 मीट्रिक टन, लेकिन कुल सीमा = (8 × कुल दुकानों की संख्या)
  4. प्रोसेसर: मासिक स्थापित क्षमता के 60% × 2025–26 के शेष महीनों के बराबर स्टॉक रखने की अनुमति

मंत्री ने कहा कि ये सीमाएं देश में अनुचित भंडारण और मूल्य हेरफेर को रोकने में मदद करेंगी।

पोर्टल पर अनिवार्य होगी स्टॉक घोषणा:

श्री राजपूत ने बताया कि आदेश के तहत सभी संबंधित विधिक इकाइयों को अपने स्टॉक का विवरण भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य होगा।
यदि किसी व्यापारी या प्रोसेसर के पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक पाया जाता है, तो उसे आदेश जारी होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर सीमा के अनुरूप स्टॉक कम करना होगा।

राज्य सरकार करेगी निगरानी और कार्रवाई:

राज्य सरकार ने “मध्यप्रदेश गेहूं (अधिकतम स्टॉक सीमा एवं स्टॉक घोषणा नियंत्रण आदेश - संशोधन, 2025)” का प्रारूप तैयार कर लिया है। इसके तहत विभागीय और जिला प्रशासन के अधिकारी जांच, तलाशी और अभिग्रहण (सीजर) की कार्यवाही कर सकेंगे। मंत्री ने कहा कि यदि भविष्य में भारत सरकार स्टॉक सीमा की अवधि या मात्रा में परिवर्तन करती है, तो वह संशोधन स्वतः राज्य में लागू हो जाएगा।

उपभोक्ताओं के हित में सख्त कदम:

मंत्री राजपूत ने कहा कि सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है “उपभोक्ताओं को राहत देना, बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना और जमाखोरी व कृत्रिम मूल्य वृद्धि पर कड़ा नियंत्रण सुनिश्चित करना। यह कदम देशभर में गेहूं की उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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