केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कृषि क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में खरीफ फसलों की स्थिति, रबी सीजन की तैयारी, बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति, फसलों की कीमतों की प्रवृत्ति, उर्वरक उपलब्धता और जलाशयों में भंडारण स्तर पर विस्तृत चर्चा की गई। मंत्री ने इस दौरान संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस वर्ष खरीफ फसलों का कुल क्षेत्रफल 6.51 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। चालू वर्ष में कुल बुवाई क्षेत्र 1,121.46 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि वर्ष 2024-25 में यह 1,114.95 लाख हेक्टेयर था। बैठक में बताया गया कि धान, गेहूं, मक्का, गन्ना और दलहन जैसी प्रमुख फसलों के क्षेत्र में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेष रूप से उड़द (काली दाल) की खेती का क्षेत्रफल 22.87 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 24.37 लाख हेक्टेयर हो गया है, यानी 1.50 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज हुई है।
श्री चौहान ने बाढ़ प्रभावित राज्यों की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने हाल ही में जिन जिलों का दौरा किया था, वहां की रिपोर्ट बैठक में प्रस्तुत की गई। अधिकारियों ने बताया कि जहां कुछ इलाकों में अत्यधिक वर्षा से फसलें प्रभावित हुई हैं, वहीं कई क्षेत्रों में बेहतर मानसून से फसलों की वृद्धि संतोषजनक रही है। इससे आगामी रबी बुवाई और कुल उत्पादन में सुधार की उम्मीद है।
बैठक में बताया गया कि इन तीनों फसलों की बुवाई निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप प्रगति पर है।
केंद्रीय मंत्री को बताया गया कि वर्तमान में चावल और गेहूं का भंडार निर्धारित बफर मानक से अधिक है, जिससे देश में खाद्यान्न आपूर्ति की स्थिति स्थिर बनी हुई है।
बैठक में जल उपलब्धता की समीक्षा के दौरान बताया गया कि देशभर के प्रमुख जलाशयों में भंडारण स्तर पिछले वर्ष की तुलना में काफी बेहतर है। वर्तमान में 161 प्रमुख जलाशयों में पिछले वर्ष की तुलना में 103.51% और पिछले 10 वर्षों के औसत से 115% जल भंडारण दर्ज किया गया है, जो आगामी कृषि उत्पादन के लिए सकारात्मक संकेत है।
उर्वरक उपलब्धता पर भी हुई चर्चा: श्री चौहान ने उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि आने वाले महीनों में समय पर और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ घनिष्ठ समन्वय बनाए रखने पर जोर दिया ताकि किसी भी प्रकार की कमी या बाधा न उत्पन्न हो। अधिकारियों ने बताया कि आगामी कृषि सीजन के लिए राज्यों के साथ निरंतर समन्वय बनाकर उर्वरक की आवश्यकताओं का मूल्यांकन और आपूर्ति की जा रही है।