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विकसित कृषि संकल्प अभियान: भारत बनेगा वैश्विक खाद्य टोकरी, सोयाबीन से लेकर कपास तक विशेष मिशन होंगे लागू

विकसित कृषि संकल्प अभियान
विकसित कृषि संकल्प अभियान

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को देशभर में मिल रही सफलता को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि भारतीय कृषि को आधुनिक, लाभकारी और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक दीर्घकालिक संकल्प है।

श्री चौहान ने बताया कि इस अभियान के तहत 2,170 वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों की टीमों ने 1.42 लाख से अधिक गांवों में जाकर 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से सीधे संवाद किया। उन्होंने कहा कि अब हर जिले में कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) को एक नोडल एजेंसी के रूप में गठित किया जाएगा, जो किसानों के लिए एक समर्पित टीम के रूप में कार्य करेगी।

ICAR के नोडल अधिकारी करेंगे वैज्ञानिक तरीके से कृषि मूल्यांकन:

कृषि मंत्री ने घोषणा की कि कृषि वैज्ञानिक सप्ताह में कम से कम तीन दिन खेतों में जाकर किसानों से मिलेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे स्वयं सप्ताह में दो दिन खेतों में जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगे। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) प्रत्येक राज्य के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे, जो वैज्ञानिक पद्धति से कृषि गतिविधियों का मूल्यांकन करेगा, राज्य की आवश्यकताओं के अनुसार सुझाव देगा और राज्य सरकारों से समन्वय करेगा।

उन्होंने कहा कि केवल ऑफिस में बैठकर कृषि की समस्याओं को नहीं समझा जा सकता। इसलिए खेत स्तर पर पहुँचकर कार्य करना सभी अधिकारियों और वैज्ञानिकों की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच एक समन्वित तंत्र बनाया जाएगा, जिससे राज्यवार कृषि समस्याओं को पहचान कर क्षेत्रीय समाधान दिए जा सकें।

किसानों को मिलेगा भरोसेमंद बीज और कीटनाशक:

अभियान के दौरान सामने आई एक बड़ी चुनौती घटिया गुणवत्ता वाले बीज और कीटनाशकों की रही। मंत्री ने आश्वस्त किया कि बीज अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाएगा और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र को मजबूत किया जाएगा, ताकि किसानों तक केवल प्रमाणित और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद ही पहुँचें।

रबी फसलों के लिए फिर शुरू होगा अभियान: श्री चौहान ने बताया कि यह अभियान रबी फसलों के लिए फिर से शुरू किया जाएगा। इसके अलावा सोयाबीन के लिए एक विशेष कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। इस संबंध में 26 जून को इंदौर में प्रमुख हितधारकों की बैठक होगी। इसके बाद कपास, गन्ना, दालें और तिलहन पर भी इसी तरह के मिशन चलाए जाएंगे।

24 जून को पूसा संस्थान में राष्ट्रीय कृषि बैठक: 24 जून को दिल्ली के पूसा संस्थान में एक राष्ट्रीय स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी और राज्य कृषि मंत्री अभियान की प्रगति की समीक्षा करेंगे। इस बैठक में नोडल अधिकारी राज्यवार रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और भविष्य के लिए अनुसंधान प्राथमिकताओं और संरचनात्मक सुधारों पर चर्चा की जाएगी।

पोषण सुरक्षा और मृदा संरक्षण के साथ बढ़ेगा कृषि क्षेत्र: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते 11 वर्षों में देश का खाद्यान्न उत्पादन 40% तक बढ़ा है। यह उपलब्धि सतत और रणनीतिक नीतिगत प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा, “हमारा मिशन केवल खाद्य सुरक्षा नहीं, बल्कि पोषण सुरक्षा, लाभकारी खेती और भावी पीढ़ियों के लिए मृदा स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित करना है। भारत को वैश्विक खाद्य टोकरी के रूप में उभरना चाहिए।

गांवों से लेकर सीमा जिलों तक किसानों से संवाद की नई पहल: अभियान में समावेशी पहुँच को प्राथमिकता दी गई, जिसमें विशेष रूप से पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। 177 जनजातीय जिलों में 1,024 ब्लॉकों में 8,000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनसे लगभग 18 लाख किसानों तक पहुंच बनी। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 6,800 गांवों का दौरा किया गया और 15 लाख किसानों से सीधा संवाद हुआ। लगभग 100 सीमा जिले और वाइब्रेंट गांवों को भी शामिल किया गया, जिससे रणनीतिक और दूरदराज़ क्षेत्रों में भी अभियान की पहुँच सुनिश्चित हो सकी।

‘किसान चौपाल’ बनी संवाद और नवाचार का मंच: अभियान की एक प्रमुख विशेषता ‘किसान चौपाल’ रही, जहां वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सीधे संवाद की व्यवस्था हुई। इन चौपालों में जलवायु के अनुकूल फसलें, बीज किस्में, मृदा स्वास्थ्य और कीट प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा हुई। 

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