 
										भारतीय किसानों के लिए अब खेती के पारंपरिक तरीकों में तकनीकी सुधार के साथ एक नया नवाचार सामने आया है पशु-चलित बहु-फसल बोने की मशीन (Animal-drawn Multi-crop Planter)। यह मशीन विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए बनाई गई है, जो ट्रैक्टर के बजाय बैल या अन्य पशुओं की मदद से खेत की जुताई और बुवाई करते हैं।
यह 3-पंक्ति वाली मशीन मोटे और छोटे दोनों प्रकार के बीजों की बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अंतर-फसलों (inter-cropping) की बुवाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इसमें अलग-अलग बीजों के लिए स्वतंत्र बीज बॉक्स उपलब्ध हैं।
इस मशीन की संरचना में शामिल हैं:
इस मशीन में तीन स्वतंत्र बीज बॉक्स होते हैं, जिनमें झुकी हुई प्लेट प्रकार का बीज मापन तंत्र (Seed Metering Mechanism) लगा होता है।
बीज प्लेटों को फसल के प्रकार और पौधों के बीच की दूरी के अनुसार आसानी से बदला जा सकता है।
उर्वरक और पावर ट्रांसमिशन सिस्टम:
इस मशीन का बीज मापन तंत्र ग्राउंड व्हील से चेन और स्प्रोकेट सिस्टम के माध्यम से संचालित होता है। मुख्य फ्रेम पर एक वैकल्पिक उर्वरक बॉक्स भी लगाया जा सकता है, जिसमें फ्लूटेड रोलर सिस्टम लगा होता है जिससे बीजों के साथ-साथ दानेदार उर्वरक (Granular Fertilizer) भी समान रूप से बोए जा सकते हैं। इसके अलावा, व्हील एक्सल या मुख्य ड्राइव शाफ्ट पर उपयुक्त आकार के स्प्रोकेट चुनकर ड्राइव अनुपात (Drive Ratio) को बदला जा सकता है, जिससे बीज गिराने की दर नियंत्रित की जा सके।
कम लागत और श्रम की बचत:
इस मशीन को चलाने के लिए केवल 7–8 व्यक्ति प्रति घंटा प्रति हेक्टेयर श्रम की आवश्यकता होती है। इसकी कुल लागत लगभग ₹15,000 है। जहां पारंपरिक विधि से बुवाई की लागत ₹550 प्रति हेक्टेयर तक होती है, वहीं इस मशीन से यह लागत घटकर केवल ₹270–₹360 प्रति हेक्टेयर रह जाती है।
निष्कर्ष: यह पशु-चलित बहु-फसल बोने की मशीन ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाली सस्टेनेबल कृषि तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह न केवल मजदूरी और समय दोनों की बचत करती है, बल्कि बीज और उर्वरक के कुशल उपयोग के माध्यम से फसल उत्पादकता बढ़ाने में भी मददगार है। छोटे किसानों के लिए यह मशीन पारंपरिक खेती से आधुनिक, किफायती और पर्यावरण अनुकूल कृषि की ओर एक अहम कदम है।