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भारत में पहली बार पशुओं के लिए बनेगी वेटरनरी ब्लड बैंक व्यवस्था, पशु रक्त आधान को मिलेगी नई पहचान

वेटरनरी ब्लड बैंक से पशुपालकों को मिलेगा लाभ
वेटरनरी ब्लड बैंक से पशुपालकों को मिलेगा लाभ

पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने भारत में पहली बार “पशुओं के लिए रक्त आधान और रक्त बैंक हेतु दिशा-निर्देश एवं मानक संचालन प्रक्रिया” जारी की हैं। यह कदम पशु चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।

अब तक देश में पशुओं के रक्त आधान के लिए कोई राष्ट्रीय ढांचा मौजूद नहीं था। आपात स्थिति में रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया अक्सर बिना मानकीकृत जाँच, ब्लड टाइपिंग और सुरक्षित भंडारण की जाती थी। नए दिशा-निर्देश इस कमी को दूर करेंगे और दाता चयन, रक्त संग्रहण, प्रोसेसिंग, भंडारण, ट्रांसफ्यूजन प्रक्रियाओं और सुरक्षा मानकों को वैज्ञानिक व नैतिक ढांचे में लाएँगे।

पशु रक्त संक्रमण के लिए नए दिशा-निर्देश:

इन दिशा-निर्देशों और SOPs में कई अहम प्रावधान शामिल किए गए हैं:

  1. राज्य स्तर पर नियंत्रित वेटरनरी ब्लड बैंक की स्थापना, जिनमें बायोसेफ्टी अनुरूप ढांचा होगा।
  2. ब्लड टाइपिंग और क्रॉस-मैचिंग अनिवार्य, ताकि असंगति से बचा जा सके।
  3. दाता पात्रता मानदंड – स्वस्थ होना, टीकाकरण, आयु, वजन और रोग परीक्षण का पालन।
  4. स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा, दाता अधिकार चार्टर और सूचित सहमति की व्यवस्था।
  5. वन हेल्थ सिद्धांतों का समावेश, ताकि ज़ूनोटिक बीमारियों के जोखिम को रोका जा सके।
  6. मानकीकृत फॉर्म और चेकलिस्ट, जिससे दाता पंजीकरण, मॉनिटरिंग और प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो।
  7. राष्ट्रीय वेटरनरी ब्लड बैंक नेटवर्क बनाने का रोडमैप, जिसमें डिजिटल रजिस्ट्रियां, वास्तविक समय की इन्वेंटरी और इमरजेंसी हेल्पलाइन शामिल होंगी।
  8. पशुचिकित्सा शिक्षा में प्रशिक्षण मॉड्यूल, जिन्हें स्नातक, स्नातकोत्तर और सतत शिक्षा कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा।

पशु रक्त संक्रमण में आधुनिक तकनीक:

नए दिशा-निर्देशों में मोबाइल ब्लड कलेक्शन यूनिट्स, रेयर ब्लड टाइप के लिए क्रायोप्रिजर्वेशन, मोबाइल ऐप्स द्वारा डोनर-रिसीपीएंट मिलान और एडवांस ट्रांसफ्यूजन रिसर्च जैसी नवाचारों को बढ़ावा देने की भी बात कही गई है।

30% कृषि जीडीपी में योगदान देने वाला पशुधन क्षेत्र: भारत में लगभग 53.7 करोड़ से अधिक पशुधन और 12.5 करोड़ से अधिक पालतू पशु हैं, जो ग्रामीण आजीविका, खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य का आधार हैं। यह क्षेत्र राष्ट्रीय जीडीपी में लगभग 5.5% और कृषि जीडीपी में 30% से अधिक योगदान करता है। 

पशु कल्याण की ओर बड़ा कदम:

इन दिशा-निर्देशों का जारी होना पशु चिकित्सा स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। इससे आपात स्थितियों में बेहतर क्लिनिकल केयर मिलेगी, पशुओं की जान बचेगी, ग्रामीण आजीविका सुरक्षित होगी और पशु कल्याण को नई दिशा मिलेगी।

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