प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए पशुपालन गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2028 तक मध्यप्रदेश को देश की ‘मिल्क कैपिटल’ बनाया जाएगा। गो-संरक्षण और संवर्धन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके लिए निरंतर योजनाएं लागू की जा रही हैं।
प्रदेश का वर्तमान दुग्ध उत्पादन देश का लगभग 9% है, जिसे बढ़ाकर 20% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। गोवंश के आहार हेतु प्रतिमाह दी जाने वाली राशि को ₹20 से बढ़ाकर ₹40 किया गया है। "हर घर गोकुल" अभियान के तहत प्रदेश में 946 नई दुग्ध सहकारी समितियाँ गठित की गई हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना के माध्यम से प्रत्येक जिले में आत्मनिर्भर ग्राम विकसित किए जा रहे हैं।
मध्यप्रदेश दुग्ध संघ के सांची ब्रांड को राष्ट्रीय स्तर पर अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से करार किया गया है। इसके तहत दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग, पशु स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, वेटनरी प्रशिक्षण और आधुनिक डेयरी अवसंरचना का विकास किया जा रहा है। वर्ष 2030 तक 26 हजार गाँवों तक डेयरी नेटवर्क पहुँचाने का लक्ष्य है, जिससे प्रतिदिन 52 लाख किलो दूध संकलन होगा।
सरकार ने पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए कई नई योजनाएं लागू की हैं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना : इसके अंतर्गत पशुपालक को 25 दुधारू गाय या भैंस की इकाई उपलब्ध कराई जाएगी, जिसकी लागत 36 से 42 लाख रुपए होगी। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए 33% और अन्य वर्गों के लिए 25% अनुदान दिया जाएगा।
स्वावलंबी गोशाला स्थापना नीति 2025 : नगरीय क्षेत्रों में 5 हजार से अधिक गोवंश क्षमता वाली वृहद गोशालाएँ भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर में स्थापित की जा रही हैं।
गो-शालाओं और गोवंश के लिए प्रयास: प्रदेश में करीब 2942 गो-शालाएँ पंजीकृत हैं, जिनमें से 2828 संचालित हैं। इनमें 4.22 लाख गोवंश का पालन किया जा रहा है। पिछले वर्ष 623 नई गोशालाएँ पंजीकृत हुईं, जिनमें से अधिकांश मनरेगा के तहत बनाई गई हैं। चारा-भूसा अनुदान योजना में इस वित्त वर्ष में गोशालाओं को 133.35 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है।
विशेष वर्गों के लिए योजनाएं: अति पिछड़ी जनजातियों – बैगा, सहरिया और भारिया के पशुपालकों को भी योजनाओं से जोड़ा गया है। इनके लिए 14 जिलों में मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना चलाई जा रही है, जिसमें 90% अनुदान पर प्रत्येक हितग्राही को दो मुर्रा भैंस या गाय उपलब्ध कराई जाती है।
नस्ल सुधार और आधुनिक तकनीक: प्रदेश में पशु नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत 1500 "मैत्री" केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम को सीहोर, विदिशा और रायसेन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है।