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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, तुअर पंजीयन की तिथि 30 मई तक बढ़ी; किसानों को मिलेगा समुचित प्रोत्साहन

तुअर फसल पंजीयन की अंतिम तिथि 30 मई
तुअर फसल पंजीयन की अंतिम तिथि 30 मई

ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती में खरपतवारनाशकों के अधिक उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अतः किसानों को खरपतवारनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करते हुए प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार व संबंधित विभागों द्वारा स्वाभाविक तरीकों से फसल उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण व जनस्वास्थ्य दोनों की रक्षा की जा सके।

किसानों को मिले उचित प्रोत्साहन Farmers to Receive Comprehensive Support:

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में कहा कि किसानों को रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर उन्नत किस्म के बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, उचित बाजार मूल्य और अनुदान जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने श्रीअन्न रागी, कोदो-कुटकी, मक्का, ज्वार एवं बाजरा जैसी फसलों को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई। इन फसलों के उत्पादक क्षेत्रों में पैदावार बढ़ाने हेतु अनुदान राशि में भी वृद्धि की जानी चाहिए।

तुअर फसल पंजीयन की अंतिम तिथि 30 मई
भारत सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत तुअर फसल के पंजीयन की अंतिम तिथि 30 मई तक बढ़ा दी गई है। जिन किसानों ने तुअर की बुवाई की है, वे निर्धारित तिथि तक ई-उपार्जन पोर्टल पर जाकर अपना पंजीयन कर सकते हैं। किसान अपने मोबाइल, कंप्यूटर, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालय, सहकारी संस्था, विपणन समिति के केंद्र, एमपी ऑनलाइन, कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र या नजदीकी साइबर कैफे के माध्यम से पंजीयन कर सकते हैं।

पंजीयन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज Documents Required for Registration:

⦁    भू-स्वामी किसानों के लिए: भूमि दस्तावेज, आधार कार्ड, आधार से पंजीकृत मोबाइल नंबर, फोटो पहचान पत्र।
⦁    सिकमी एवं वनपट्टाधारी किसानों के लिए: आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, सिकमी अनुबंध/वनपट्टा की प्रति।

पंजीकृत किसानों को उनकी उपार्जित फसल का भुगतान सीधे उनके आधार से लिंक बैंक खाते में किया जाएगा। सभी किसान अपने बैंक खाते एवं मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कर अपडेट रखें, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

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