केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान नई दिल्ली स्थित एनएएससी परिसर में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि ICAR देश की शान है और यह कृषि अनुसंधान और विस्तार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि "विकसित भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि का उन्नत होना और किसानों का सशक्त बनना आवश्यक है। किसानों को भगवान तुल्य बताते हुए उन्होंने कहा कि वे इस धरती को पोषित करते हैं, और उनके कल्याण की जिम्मेदारी हम सबकी है।
इसके साथ ही उन्होंने प्राकृतिक और जैविक खेती को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई।
श्री चौहान ने यह भी घोषणा की कि वे 25–26 मई को पदयात्रा करेंगे, जिससे किसानों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं जानकर उसका निराकरण कर सकें। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, राष्ट्रीय भंडार को भरना और भारत को दुनिया की "फूड बास्केट" बनाना है। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित सभी लोगों को संदेश दिया। उन्होंने हम एक टीम हैं, और हमारा मंत्र है: एक भारत, एक कृषि, एक टीम।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि जब तक किसान सशक्त नहीं होंगे, तब तक विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और कृषि को नवाचार और अनुसंधान आधारित बनाने का आह्वान किया। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों से यह संकल्प लेने की अपील की कि यह सम्मेलन केवल चर्चा तक सीमित न रहे, बल्कि नीति निर्माण, नवाचार और प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाए।
ICAR महानिदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता: डॉ. मंगी लाल जाट सचिव एवं महानिदेशक (ICAR), ने कहा कि यह सम्मेलन कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार की भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि ICAR को कृषि शिक्षा और अनुसंधान व्यवस्था में "बड़े भाई" की भूमिका निभानी चाहिए और कृषि विज्ञान केंद्रों व विश्वविद्यालयों को मार्गदर्शन देना चाहिए।