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नवीन कृषि मॉडल के साथ मध्यप्रदेश बना किसानों का सहारा: किसानों को प्रोत्साहन राशि और तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध

धान और गेहूं के MSP पर बोनस और डीबीटी के जरिए मदद
धान और गेहूं के MSP पर बोनस और डीबीटी के जरिए मदद

मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में निरंतर नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रदेश ने कृषि उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। दालों के उत्पादन में देश में पहला स्थान, खाद्यान्न उत्पादन में दूसरा स्थान और तिलहन उत्पादन में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। तृतीय फसली क्षेत्र में भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।

नरवाई जलाने पर नहीं मिलेगा MSP और किसान सम्मान निधि No MSP and Kisan Samman Nidhi for Burning Crop Residue (Narwai):

फसल कटाई के बाद खेतों में बची नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने कई प्रभावी कदम उठाए हैं। नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रों को किसानों को अनुदान पर वितरित किया गया है। नरवाई जलाने वाले किसानों को अगले एक वर्ष तक किसान सम्मान निधि की राशि नहीं दी जाएगी और उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन भी नहीं किया जाएगा।

धान और गेहूं के MSP पर बोनस और डीबीटी के जरिए मदद  
राज्य सरकार द्वारा कृषि, उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े कई कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिनसे किसानों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। खरीफ 2024 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को ₹4,000 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, अधिकतम सीमा ₹10,000 प्रति कृषक रखी गई है। रबी 2024-25 में गेहूं उपार्जन पर ₹175 प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। प्रधानमंत्री पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खातों में 24 फरवरी 2025 को सिंगल क्लिक के माध्यम से सहायता राशि जमा की गई है।

श्रीअन्न और सोयाबीन उत्पादन को प्रोत्साहन
प्रदेश में पहली बार केंद्र सरकार की सपोर्ट प्राइस स्कीम के तहत सोयाबीन का उपार्जन किया गया है। वहीं, रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत मोटे अनाज (श्रीअन्न) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को ₹3,900 प्रति हेक्टेयर की डीबीटी सहायता दी जा रही है।

फसल बीमा से लेकर युवाओं के कौशल विकास तक

⦁  फसल बीमा और डिजिटल एकीकरण: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत समय पर फसल नुकसान का आंकलन और राहत राशि वितरण सुनिश्चित किया गया है। प्रदेश को एनसीआईपी पोर्टल के साथ भूमि रिकॉर्ड एकीकृत करने के लिए ‘उत्कृष्टता प्रमाण पत्र’ भी प्रदान किया गया है।
⦁  कृषि यंत्रों पर अनुदान और प्रशिक्षण: इंडियन ऑयल, रिलायंस और गेल जैसी कंपनियों द्वारा फसल अवशेष से बायोगैस उत्पादन के लिए सीबीजी प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इसके लिए हाईटेक हब केंद्रों की स्थापना पर अधिकतम ₹97.50 लाख तक का अनुदान दिया जा रहा है।
⦁  युवाओं के लिए कौशल विकास: ट्रैक्टर सर्विस मैकेनिक और कम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर जैसे कोर्स में प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। वर्ष 2024-25 तक 7,361 युवाओं को निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
⦁  कस्टम हायरिंग सेंटर: ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रत्येक वर्ष 1,000 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।

फार्म गेट ऐप से किसानों को उपज बिक्री में नई सुविधा
फार्म गेट मोबाइल ऐप के माध्यम से किसान अपनी उपज की फोटो और विवरण अपलोड कर मंडी में पंजीकृत व्यापारियों से सीधे सौदा कर सकते हैं। किसान की सहमति के बाद व्यापारी उसकी उपज सीधे खेत या गांव से उठा सकते हैं। इससे परिवहन खर्च की बचत होती है और छोटे-मध्यम किसानों को उपज बेचने में राहत मिलती है। मंडी से अनुबंधित व्यापारी से भी खेत या गोदाम पर उपज बेचने की सुविधा उपलब्ध है।

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