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धान किसानों के लिए अलर्ट: मक्खियाँ और तना छेदक कर सकते हैं भारी नुकसान, वैज्ञानिकों ने बताए कारगर उपाय

धान की फसल में तना छेदक से बचाव के उपाय
धान की फसल में तना छेदक से बचाव के उपाय

खरीफ सीजन में धान की खेती किसानों की मुख्य आजीविका का आधार मानी जाती है। इस बार करीब 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। अच्छी बारिश ने किसानों के चहरों पर मुस्कान बिखेरी है और खेतों में धान की लहलहाती फसल उम्मीदें जगा रही है। लेकिन इसी बीच कीटों का प्रकोप किसानों के सामने गंभीर चुनौती बनकर खडा है। खासकर दूध भरने की अवस्था में धान की बालियों पर मक्खियों और तना छेदक जैसे कीट तेजी तेजी से हमला कर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि समय पर सावधानी और उचित बचाव उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और पैदावार में सुधान ला सकते हैं।

जिले में धान की बड़ी पैमाने पर खेती:

खरीफ सीजन में पलामू जिले में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इस वर्ष लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अच्छी बारिश के चलते किसानों ने जोर-शोर से धान बोया है। हालांकि, फसल पर कीटों का प्रकोप किसानों के लिए बड़ी चुनौती बना रहता है।

दूध भरने की अवस्था में बढ़ता कीटों का खतरा:

कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश शाह (क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी) के अनुसार, धान की बालियों में दूध भरने की अवस्था के दौरान कीट और विशेषकर मक्खियों का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। कई बार तना छेदक भी फसल को नुकसान पहुंचाता है। यदि बाली सूखकर आसानी से निकल जाती है, तो यह तना छेदक का संकेत है, जबकि न निकलने पर यह मक्खियों का हमला हा सकता है।

मक्खियों और कीटों से बचाव के उपाय:

डॉ. शाह ने बताया कि इस अवस्था में एक खास प्रकार की मक्खी पौधे पर बैठकर बाली का दूध चूस लेती है, जिससे बाली सूख जाती है। इससे बचाव के लिए किसानों को "प्यूनल फॉल्स डस्टिंग" करनी चाहिए। यह छिड़काव सुबह के समय करना सबसे बेहतर है, जब खेत में नमी रहती है, ताकि दवा पौधों पर अच्छी तरह चिपक सके।
इसके अलावा, "क्यूराक्रोन" दवा का उपयोग भी प्रभावी माना गया है। किसान 2 एमएल दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। समय पर यह उपाय अपनाने से मक्खियों और तना छेदक दोनों का प्रकोप कम होता है और फसल सुरक्षित रहती है।

समय पर उपाय से होगी बेहतर पैदावार: विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अगर दूध भरने की अवस्था में ये कदम उठाएं तो फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है और पैदावार भी बेहतर होगी।

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