• होम
  • Organic farming: खेती बनी अर्थव्यवस्था की रीढ़: धान-गेहूं उत...

Organic farming: खेती बनी अर्थव्यवस्था की रीढ़: धान-गेहूं उत्पादन में रिकॉर्ड, सिंचाई-ऊर्जा से खेत लहलहाए

जैविक खेती
जैविक खेती

केन्द्र और राज्य सरकारें किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही हैं। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और फसल विविधीकरण जैसे नवाचारों को अपनाकर ही किसानों की आमदनी में वास्तविक बढ़ोतरी संभव है। 

खेती देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़:

श्री परिहार ने कहा कि खेती देश की आजीविका का आधार और किसानों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बिजली, पानी, खाद-बीज से लेकर उपज की खरीद तक हर सुविधा उपलब्ध करा रही है। खाद-बीज और कीटनाशकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मिलावट व कालाबाज़ारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

धान-गेहूं में सतना जिले ने तोड़े रिकॉर्ड:

उप संचालक कृषि श्री आशीष पांडेय ने जानकारी दी कि सतना जिले में खरीफ और रबी मिलाकर 4 लाख 71 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। जिले में धान और गेहूं मुख्य फसलें हैं। पिछले वर्ष 2024 में धान का औसत उत्पादन करीब 43.65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा, जो प्रदेश और राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। जिले में हैपीसीडर और सुपर सीडर जैसे आधुनिक कृषि यंत्र किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं। फसल बीमा योजना का लाभ भी एक लाख 30 हजार से अधिक किसानों को दिया गया है।

दुग्ध उत्पादन और उद्यानिकी पर ज़ोर:

सभापति श्री परिहार ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने उद्यानिकी विभाग को मसाला उत्पादन और नर्सरी विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।

पानी और बिजली से खेतों में बढ़ी हरियाली:

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में दो मध्यम और 57 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि पाँच बड़ी योजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनसे 8650 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा। ऊर्जा विभाग ने बताया कि जिले के 53 फीडरों से किसानों को प्रतिदिन 10 घंटे सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही, सौर ऊर्जा और कुसुम योजना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण: वन विभाग के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में किसानों की निजी भूमि पर 1.92 लाख पौधे लगाए गए, जिनके लिए 93 लाख रुपये से अधिक की अनुदान राशि दी गई। चालू वर्ष में भी 17 लाख पौधारोपण किया गया है।

ये भी पढें- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की नई पहल

लेटेस्ट
khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें