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भारतीय नैनो तकनीक को वैश्विक पहचान, ब्राजील में IFFCO लगाएगा खाद फैक्ट्री

IFFCO ब्राजील में लगाएगा प्लांट
IFFCO ब्राजील में लगाएगा प्लांट

भारत की अग्रणी सहकारी संस्था IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव) अब वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में अपनी पहचान मजबूत करने जा रही है। IFFCO ने ब्राजील में अपनी पहली विदेशी नैनो खाद फैक्ट्री लगाने का ऐलान किया है, जिससे भारतीय नैनो टेक्नोलॉजी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चमकेगी।

ब्राजील में बनेगा पहला विदेशी नैनो फर्टिलाइज़र प्लांट:

इस प्लांट की स्थापना ब्राजील के पराना राज्य के कुरितिबा शहर में की जा रही है। यह संयंत्र IFFCO की सहायक कंपनी IFFCO Nanoventions और ब्राजील की कंपनी NANOFERT के बीच 70:30 साझेदारी में बनेगा। प्लांट की वार्षिक उत्पादन क्षमता 45 लाख लीटर नैनो खाद की होगी।

क्यों खास है यह परियोजना?

नैनो खादें पारंपरिक यूरिया और डीएपी की तुलना में अधिक असरदार, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल हैं। कम मात्रा में इस्तेमाल करने पर भी ये उच्च उत्पादकता देती हैं। इससे न केवल किसानों की लागत घटती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

दुनिया में लोकप्रिय हो रहा भारतीय नैनो यूरिया:

इफको ने 2021 में नैनो यूरिया और 2023 में नैनो डीएपी लॉन्च किया था। अब तक IFFCO 50 से अधिक देशों में 5 लाख से ज्यादा नैनो खाद की बोतलें निर्यात कर चुका है, जिनमें अमेरिका, ब्राजील, नेपाल, स्लोवेनिया और मॉरिशस जैसे देश शामिल हैं।

ब्राजील में क्यों बढ़ रही मांग?

ब्राजील एक कृषि प्रधान देश है जहां मक्का, सोयाबीन, गन्ना और कॉफी जैसी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है। पिछले दो वर्षों में ब्राजील के किसानों ने भारतीय नैनो खाद का प्रयोग कर फसल लागत घटाई और उपज में सुधार पाया। NANOFERT के चेयरमैन रितेश शर्मा के अनुसार, नैनो खाद से मक्का और सोयाबीन में 10% तथा गन्ने में 7% से अधिक उपज बढ़ी है।

एक बोतल = 45 किलो यूरिया: IFFCO द्वारा निर्मित 500 मिली नैनो यूरिया की बोतल की कीमत करीब ₹240 है और यह 45 किलो पारंपरिक यूरिया के बराबर प्रभावी होती है। वहीं, नैनो डीएपी की बोतल ₹600 में मिलती है। इससे फसल की पोषण आवश्यकता पूरी होने के साथ-साथ उर्वरक की बर्बादी और मिट्टी की क्षति भी कम होती है।

जल्द आएंगे नैनो जिंक और कॉपर: इफको अब नैनो जिंक और नैनो कॉपर जैसे पोषक तत्व भी बाजार में उतारने की तैयारी में है। कंपनी अब तक नैनो रिसर्च और उत्पादन में ₹4,200 करोड़ का निवेश कर चुकी है और देशभर में जागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिए इसके उपयोग को बढ़ावा दे रही है।

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