महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार एक नई पहल की शुरुआत करने जा रही है। राज्य सरकार 15 अगस्त से "एक बगिया माँ के नाम" परियोजना का शुभारंभ करेगी। यह अभियान मनरेगा योजना के अंतर्गत संचालित होगा और इसका उद्देश्य स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को आय का स्थायी स्रोत उपलब्ध कराना है।
परियोजना के तहत प्रदेश की 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं की 30 हजार एकड़ निजी भूमि पर फलदार पौधारोपण किया जाएगा। अनुमानित 1000 करोड़ रुपये की लागत से 30 लाख से अधिक बागवानी पौधों का रोपण कर फलोद्यान विकसित किए जाएंगे, जिससे महिलाओं को दीर्घकालिक आर्थिक लाभ मिलेगा।
चयनित महिला हितग्राहियों को निःशुल्क पौधे, खाद, गड्ढे खोदने हेतु सहायता, सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर क्षमता का जल कुंड और सुरक्षा हेतु कटीले तारों की फेंसिंग की सुविधा दी जाएगी। साथ ही, बागवानी की जानकारी और रखरखाव हेतु महिलाओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।
पौधारोपण अभियान 15 अगस्त से 15 सितंबर तक: "एक बगिया माँ के नाम" योजना के तहत राज्य में पौधारोपण का यह अभियान 15 अगस्त 2025 से प्रारंभ होकर 15 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान हितग्राही महिलाओं का चयन और भूमि परीक्षण की प्रक्रिया तेज़ी से की जाएगी।
किसे मिलेगा योजना का लाभ? इस योजना का लाभ उन स्व-सहायता समूह की महिला सदस्यों को मिलेगा जो फलदार पौधारोपण में रुचि रखती हैं। यदि महिला के नाम पर भूमि नहीं है तो पति, पिता, ससुर या पुत्र की भूमि पर उनकी लिखित सहमति से पौधारोपण किया जा सकता है।
अत्याधुनिक तकनीक से होगा स्थल चयन: पौधारोपण स्थल के चयन में 'सिपरी सॉफ्टवेयर' जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। सॉफ्टवेयर भूमि की उपयुक्तता, स्थानीय जलवायु, और फसल की अनुकूलता का विश्लेषण कर यह निर्धारित करेगा कि कौन सा पौधा किस भूमि में और कब लगाया जाना चाहिए। यदि भूमि उपयुक्त नहीं पाई जाती है, तो वहां पौधारोपण नहीं किया जाएगा।