उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेज़ी से कदम उठा रही है। राज्य में सरसों का उत्पादन अब 36 लाख मीट्रिक टन तक पहुँच गया है, जो पहले की सरकारों में मात्र 14 लाख मीट्रिक टन था। यह वृद्धि किसानों की मेहनत और सरकार की कृषि नीतियों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है।
राज्य में कृषि निवेश बढ़ाने, तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देने और श्रीअन्न पुनरोद्धार योजना के तहत मोटे अनाजों (मिलेट्स) को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संयुक्त मंडलीय रबी उत्पादन गोष्ठी-2025 का आयोजन वाराणसी-मिर्जापुर मंडल में किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। पिछले 11 वर्षों में डीएपी के दाम नहीं बढ़ने दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में बीज और खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है ताकि वे समय पर बुवाई कर सकें।
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को अनुदानित बीज वितरण का लाभ समय पर मिले। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई पूरी कर ली जाए ताकि फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हो।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समय से खरीफ और जायद की फसलें बोने का चक्र शुरू करना जरूरी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसी जागरूकता के कारण वहां की उत्पादकता पूर्वी उत्तर प्रदेश की तुलना में अधिक है।
कृषि मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में खाद्यान्न का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है। हालांकि, दाल और तेल के लिए देश अब भी आयात पर निर्भर है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे दलहन और तिलहन फसलों को बढ़ावा दें और गन्ने के खेतों के खाली हिस्सों में सरसों की खेती करें।
शाही ने बताया कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में उर्वरक (फर्टिलाइज़र) उपलब्ध हैं। वर्तमान में 12.5 लाख मीट्रिक टन यूरिया स्टॉक में है। उन्होंने सभी सीडीओ को अपने-अपने जिलों में खाद की उपलब्धता की जांच करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन फसलों में एनपीके उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें, परंतु अधिक मात्रा में उर्वरक डालने से बचें, क्योंकि इससे मिट्टी की उत्पादकता प्रभावित होती है। किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
धान खरीद केंद्र जल्द खोलने के निर्देश: कृषि मंत्री ने अधिकारियों को धान खरीद केंद्रों को शीघ्र खोलने का निर्देश दिया ताकि किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके। सरकार चना और मसूर जैसी फसलों की भी खरीद करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ₹1 लाख करोड़ के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से कृषि क्षेत्र में नई ऊर्जा आई है। श्रीअन्न पुनरोद्धार योजना के तहत मोटे अनाजों को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है ताकि भारत का अन्न वैश्विक स्तर पर पहचान बना सके।
डीएसआर पद्धति से धान बुवाई पर सब्सिडी पर विचार: कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार ने कहा कि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग डीएसआर पद्धति से धान की बुवाई करने वाले किसानों को सब्सिडी देने पर विचार कर रहा है।
साथ ही, बैंकिंग संबंधी समस्याओं को हल करने और कृषि निवेश को बढ़ाने के लिए बैंकों के साथ विशेष बैठक आयोजित करने की भी तैयारी है।
यूपी एग्रीज प्रोजेक्ट्स से बढ़ेगी फसल उत्पादकता: कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि यूपी एग्रीज प्रोजेक्ट्स के माध्यम से राज्य में फसल उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं, प्रमुख सचिव सहकारिता सौरभ बाबू ने बताया कि प्रदेश में सहकारी समितियों की संख्या 6,900 से बढ़कर 8,100 हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि समितियों के माध्यम से इफको की खाद लेने वाले किसानों को बीमा सुविधा भी मिलती है, जिसके तहत दुर्घटना की स्थिति में ₹1 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है। उद्यान विभाग के अपर सचिव बी.एल. मीणा ने बताया कि राज्य में फूड प्रोसेसिंग यूनिट, मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट, सोलर फेंसिंग और अन्य कृषि परियोजनाओं पर सब्सिडी दी जा रही है।
वाराणसी में 4,300 किसानों को मिला बीमा क्लेम: कृषि सचिव इंद्र विक्रम सिंह ने किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत वाराणसी जिले के 4,300 किसानों को लगभग ₹99 लाख रुपए का बीमा लाभ प्रदान किया गया है।
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