मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सिंचाई का रकबा बढ़कर लगभग 55 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है। किसानों को बिजली बिल से मुक्ति दिलाने के लिए 32 लाख सोलर पंप वितरित करने की योजना प्रारंभ की गई है। प्रदेश की कृषि उत्पादकता उल्लेखनीय है और अब हम फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में अग्रणी बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार का लक्ष्य फूड प्रोसेसिंग को वर्तमान 5% से बढ़ाकर 95% तक पहुंचाना है। इसके लिए किसानों को प्रोसेसिंग से जोड़ा जा रहा है। आलू चिप्स निर्माण के लिए बड़ा उद्योग स्थापित किया जा रहा है। एफपीओ फूड प्रोसेसिंग के अलावा वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स में भी सक्रिय हैं। रोज़गार-आधारित उद्योगों में नियोजित महिला कर्मचारियों को 6000 रुपये प्रतिमाह और पुरुषों को 5000 रुपये प्रतिमाह का अनुदान 10 वर्षों तक प्रदान किया जाएगा।
आज रासायनिक खेती से उत्पन्न चुनौतियों के बीच मध्यप्रदेश का जैविक कपास विश्व स्तर पर एक विशेष स्थान रखता है। चीन और वियतनाम जैसे देश अपने कपास को "मध्यप्रदेश कॉटन" के नाम से निर्यात कर रहे हैं। कपास की खेती का रकबा भले घटा हो, परंतु गुणवत्ता और जैविक उत्पादन के क्षेत्र में राज्य अग्रणी बना हुआ है।
राज्य सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारतीय किसान संघ और मालवम फेडरेशन जैसे संगठनों के सहयोग से गतिविधियाँ संचालित करेगी। गेहूं का समर्थन मूल्य 2600 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। तुअर दाल पर कर समाप्त कर दिया गया है। मोटा अनाज (कोदो-कुटकी) की एमएसपी पर खरीद का प्रावधान किया जा रहा है।
दूध उत्पादन का लक्ष्य 9% से बढ़ाकर 20% तक रखा गया है। इसके लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना प्रारंभ की गई है, जिसके अंतर्गत सब्सिडी पर दुधारू पशु (गाय-भैंस) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही मिल्क प्रोसेसिंग और डेयरी उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है
कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि प्रदेश के किसानों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की गई हैं।
14 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 12 लाख मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है।
अब तक 10 लाख मीट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित किया जा चुका है।
प्रदेश में पर्याप्त वर्षा हो रही है, और बाढ़ व बारिश से हुए नुकसान की भरपाई के लिए उचित मुआवज़ा दिया जाएगा।
एफपीओ के लिए निरंतर प्रशिक्षण है आवश्यक:
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि भगवान श्री बलराम को आदर्श मानते हुए किसान समृद्धि के लिए कार्य किया जा रहा है। एफपीओ को फसल और उत्पादों की मार्केटिंग के लिए निरंतर प्रशिक्षण देना आवश्यक है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर माही फेडरेशन और 6 राज्यों में राज्य स्तरीय फेडरेशन कार्य कर रहे हैं, जिनमें मध्यप्रदेश में मालवम फेडरेशन सक्रिय है।
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