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Natural farming: प्राकृतिक खेती, एफपीओ और मृदा स्वास्थ्य कार्ड से टिकाऊ कृषि को बढ़ावा

प्राकृतिक खेती करते किसान
प्राकृतिक खेती करते किसान

केंद्र सरकार हालिया जलवायु और बाजार संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इन पहलों का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और भूमि की उत्पादकता बनाए रखना है। सरकार की प्रमुख पहल निम्नलिखित हैं:

प्राकृतिक खेती मिशन Natural Farming Mission:

वर्ष 2022-23 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया यह मिशन देशभर में रासायन-मुक्त और पुनर्योज्य कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों की रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करना, मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता में सुधार लाना तथा कृषक आय को बढ़ाना है। यह मिशन टिकाऊ खेती के तरीकों को अपनाने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करता है।

एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) नीति FPO (Farmer Producer Organization) Policy:

एफपीओ नीति के तहत किसानों को संगठित कर कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के उत्पादन एवं विपणन में आर्थिक पैमाने के लाभ दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य कृषकों को अधिक लाभकारी मूल्य दिलाना और उन्हें संसाधनों के प्रभावी, किफायती एवं टिकाऊ उपयोग के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम बनाना है। यह पहल कृषि समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना:

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (SHM) वर्ष 2014-15 में राज्यों को सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में सहायता देने हेतु शुरू की गई थी।
वर्ष 2022-23 से SHC और SHM को मिलाकर "मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता" नाम से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत लागू किया गया है। इस योजना के माध्यम से किसानों को रासायनिक उर्वरकों (मुख्य, गौण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों), जैव उर्वरकों और जैविक खादों के संतुलित उपयोग के माध्यम से समेकित पोषक प्रबंधन (INM) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मुख्य उप-घटक:

  • मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना/सुदृढ़ीकरण
  • उर्वरक/जैव उर्वरक और जैविक खाद गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों को बढ़ावा देना

मृदा नमूनों का परीक्षण कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना: मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) किसानों को उनके खेत की मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी प्रदान करता है और उपयुक्त उर्वरक मात्रा की सिफारिश करता है जिससे भूमि की उत्पादकता और उर्वरता में सुधार होता है। 30 जून 2025 तक किसानों को कुल 25.13 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।

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