मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने को-ऑपरेटिव पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (सीपीपीपी) मॉडल के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रदेश में एक विशेष “सीपीपीपी विंग” की स्थापना के निर्देश दिए हैं। यह विंग निजी निवेशकों, सहकारी समितियों और किसानों के लिए सिंगल विंडो प्रणाली के रूप में काम करेगा, जिससे सभी प्रक्रियाएं सरल और त्वरित होंगी। यह निर्णय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के निर्देशों के परिपालन में मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान लिया। बैठक में इन्वेस्टर्स समिट में हुए एमओयू की प्रगति और उनके धरातलीय क्रियान्वयन की निगरानी हेतु रणनीतियां तैयार की गईं।
श्री सारंग ने निर्देश दिए कि सीपीपीपी विंग के लिए पृथक कार्यालय की स्थापना की जाए और एमओयू की प्रगति की सतत निगरानी सुनिश्चित की जाए। बैठक में विपणन संघ के प्रबंध संचालक श्री आलोक कुमार सिंह, सहकारिता आयुक्त एवं पंजीयक श्री मनोज पुष्प सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
किसानों और निवेशकों के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म
सीपीपीपी विंग एकीकृत प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा, जो निवेश से जुड़ी अनुमतियों, प्रक्रियाओं और मार्गदर्शन को सुगम बनाएगा। इसके अंतर्गत सहकारी बैंकों, समितियों, किसानों और निजी निवेशकों के मध्य एमओयू प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा।
सीपीपीपी विंग से किसानों और उद्यमियों को मिलेगा सहयोग
मंत्री श्री सारंग ने बताया कि सीपीपीपी विंग की कार्यप्रणाली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) के साथ समन्वय भी शामिल होगा। यह विंग केन्द्र व राज्य सरकार की सहकारी योजनाओं के साथ जुड़कर उद्यमियों, किसानों और सहकारी संस्थाओं को योजनाओं का लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
किसानों के लिए प्रशिक्षण और वृहद सेमिनार का आयोजन
राज्य के सहकारी क्षेत्र में कच्चा माल उत्पादन करने वाले किसानों के लिए तकनीकी ज्ञान और गुणवत्ता संवर्धन हेतु कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा एक वृहद सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सहकारी उद्यमियों और किसानों को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि अनुभवों और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान हो सके।
प्रदर्शन आधारित ग्रेडिंग से होगी समितियों की पारदर्शिता सुनिश्चित
श्री सारंग ने निर्देश दिए कि प्रदेश की सभी सहकारी समितियों की प्रदर्शन आधारित ग्रेडिंग की जाए। यह ग्रेडिंग समितियों की वित्तीय स्थिति, प्रबंधन की पारदर्शिता, सेवा गुणवत्ता, लाभांश वितरण और सदस्यों को दी जा रही सुविधाओं के आधार पर की जाएगी। इससे समितियों की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
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