भारत के मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिक्ही के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 से 12 सितंबर 2025 तक आइसलैंड की राजधानी रेकजाविक का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य भारत और आइसलैंड के बीच मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में सहयोग, निवेश और तकनीकी आदान-प्रदान को मजबूत करना था।
11 सितंबर को डॉ. लिक्ही ने आइसलैंड ओशन क्लस्टर (IOC) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ उच्च-स्तरीय बैठक की। इसमें भारत में मत्स्य और जलीय कृषि क्लस्टर विकसित करने, शून्य अपशिष्ट तकनीक अपनाने और मूल्य संवर्धन, ट्रेसबिलिटी तथा प्रमाणन के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा हुई। आइसलैंड की उन्नत तकनीकों और भारत की उत्पादन क्षमता को मिलाकर नीली अर्थव्यवस्था को गति देने के अवसरों पर भी विचार किया गया।
बैठक में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) ने भारत के क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल की रूपरेखा प्रस्तुत की। आइसलैंड की प्रमुख कंपनियाँ जैसे BRIM और Hampiðjan ने अपने नवीनतम शून्य अपशिष्ट मॉडल और प्रोसेसिंग तकनीकों को साझा किया।
10 सितंबर को भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने आइसलैंड फिशिंग एक्सपो 2025 का दौरा किया। इस दौरान डॉ. लिक्ही ने आइसलैंड की उद्योग मंत्री सुश्री हाना कैट्रिन फ्रिदरिक्सन से मुलाकात कर संस्थागत और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने आइसलैंड की विभिन्न मछली पालन एजेंसियों और उद्यमियों से सतत् मत्स्य पालन तकनीकों और नवाचारों के बारे में जानकारी ली।
दोनों देशों ने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली आधुनिक नौकाओं, ट्रांस-शिपमेंट सुविधाओं, मूल्य संवर्धन, प्रशिक्षण और वेसल मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी तकनीकों को अपनाने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इसके साथ ही भारत के पर्वतीय राज्यों में ट्राउट फार्मिंग और तटीय क्षेत्रों में टूना मछली पकड़ने की विशेष तकनीक पर भी चर्चा हुई।
डॉ. लिक्ही ने आइसलैंड की अग्रणी खाद्य एवं जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान कंपनी MATIS का भी दौरा किया, जहाँ उन्हें खाद्य सुरक्षा, बायोटेक्नोलॉजी और समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग पर आइसलैंड के कार्यों की जानकारी दी गई। इस दौरे ने भारत-आइसलैंड सहयोग के लिए अनुसंधान और तकनीकी हस्तांतरण के नए रास्ते खोले।
आइसलैंड ओशन क्लस्टर और भारत की पहल:
आइसलैंड ओशन क्लस्टर (IOC) वर्ष 2011 में स्थापित एक प्रमुख नवाचार मंच है, जो समुद्री संसाधनों के 100% उपयोग और सतत् वृद्धि पर केंद्रित है।
वहीं, भारत सरकार पहले से ही प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत क्लस्टर-आधारित मॉडल पर काम कर रही है। अब तक देशभर में 34 क्लस्टर अधिसूचित किए जा चुके हैं, जिनमें मत्स्य पालन से जुड़े किसानों, सहकारी समितियों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों को एक साथ जोड़कर प्रतिस्पर्धात्मक और सतत् विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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