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किसानों तक पहुँचा पहली बार एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान, 3.8 करोड़ किसानों को मिला लाभ

एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान
एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान

भारत में करोड़ों किसान खरीफ फसलों की खेती के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं। समय रहते सही पूर्वानुमान मिल जाए तो किसान यह तय कर सकते हैं कि कौन-सी फसल बोनी है, कितनी बोनी है और कब बोनी है। अब यह संभव हुआ है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मौसम पूर्वानुमान क्रांति की वजह से।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoAFW) ने इस दिशा में एक अनूठी पहल की है। मंत्रालय ने इस साल एआई आधारित मानसून पूर्वानुमान SMS (m-किसान प्लेटफॉर्म) के जरिए 13 राज्यों के करीब 3.8 करोड़ किसानों तक पहुँचाया। खास बात यह है कि ये पूर्वानुमान किसानों को सामान्य समय से चार सप्ताह पहले ही उपलब्ध कराए गए। एआई मॉडल की मदद से तैयार ये अनुमान सीधे किसानों की ज़रूरतों के हिसाब से बनाए गए, जिससे खरीफ सीजन की बेहतर योजना बनाना संभव हो सका। यह कदम मौसम पूर्वानुमान को सीधे किसानों तक पहुँचाने का दुनिया का पहला बड़ा प्रयोग माना जा रहा है।

कार्यक्रम समीक्षा और विशेषज्ञों की राय Program Review and Expert Insights:

8 सितंबर को कृषि भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में अतिरिक्त सचिव डॉ. प्रमोद कुमार मेहेरदा और संयुक्त सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने नोबेल पुरस्कार विजेता व शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ इस ऐतिहासिक पहल और इसके विस्तार पर चर्चा की।

डॉ. मेहेरदा ने कहा कि एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान किसानों को निरंतर बारिश की संभावना के बारे में पहले से जानकारी देकर आत्मविश्वास के साथ खेती करने और जोखिम कम करने का अवसर देता है।

मानसून का सटीक अनुमान Accuracy in Monsoon Prediction:

इस वर्ष मानसून जल्दी आया, लेकिन बीच में 20 दिन तक ठहराव देखा गया। मंत्रालय द्वारा भेजे गए एआई पूर्वानुमान ने इस ठहराव की सही भविष्यवाणी की थी। किसानों को हर सप्ताह अपडेट भेजे गए, जब तक कि लगातार बारिश शुरू नहीं हो गई। संयुक्त सचिव श्री अग्रवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बढ़ती अनिश्चितता के बीच एआई आधारित पूर्वानुमान किसानों के लिए अनुकूलन का बड़ा साधन हैं।

एआई मॉडल और उनकी क्षमता:

2022 से एआई तकनीक ने मौसम पूर्वानुमान विज्ञान में नई क्रांति ला दी है। अब हफ्तों पहले मानसून जैसे जटिल मौसम पैटर्न का अनुमान लगाना संभव हो गया है। MoAFW ने इसके लिए दो ओपन एक्सेस मॉडल—गूगल का Neural GCM और ECMWF का AIFS (Artificial Intelligence Forecasting System) का उपयोग किया। मूल्यांकन में ये मॉडल अन्य सभी पारंपरिक पूर्वानुमानों से अधिक सटीक पाए गए।

नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा, “यह पहल किसानों की ज़रूरतों को केंद्र में रखकर बनाई गई है। आसान भाषा में मौसम की जानकारी मिलने से किसान सही फैसले ले पा रहे हैं।”

किसानों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि:

इस पहल में Development Innovation Lab - India और Precision Development की टीमों ने किसानों से सीधे संवाद कर यह सुनिश्चित किया कि संदेश सरल और उपयोगी हों। नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने कहा, “यह कृषि मंत्रालय की बड़ी उपलब्धि है, जिसने लाखों किसानों को लाभान्वित किया है और भारत को एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान में अग्रणी बना दिया है। यह कार्यक्रम इस बात का आदर्श उदाहरण है कि एआई के दौर में भी केंद्र में ‘इंसान’ होना चाहिए।”

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