इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इनलैंड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर मीट में देशभर के मंत्री, मत्स्य विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हुए। मीट का उद्देश्य उन राज्यों में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिनकी सीमाएं समुद्र से नहीं जुड़ी हैं। इस आयोजन में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार समेत अन्य इनलैंड राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि भारत आज दुनिया में मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। पिछले 10 वर्षों में भारत में मत्स्य उत्पादन 61 लाख टन से बढ़कर 147 लाख टन और निर्यात 30 हजार करोड़ से बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि मछली पालन एक लाभकारी व्यवसाय है, जिससे किसान अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि असंगठित मछुआरों को संगठित करना, मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूत बनाना और किसान क्रेडिट कार्ड योजना सहित केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाना आवश्यक है। श्री सिंह ने राज्यों से आग्रह किया कि वे विस्तृत कार्य योजनाएं बनाएं और एनएफडीबी के माध्यम से नि:शुल्क प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएं।
केंद्रीय राज्यमंत्री श्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए मत्स्य, मुर्गी और पशुपालन को बढ़ावा देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश में कई छोटी नदियां विलुप्त हो रही हैं, जो चिंता का विषय है। हर जिले में ‘अमृत सरोवर’ की संख्या बढ़ाकर मछली पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही देश में तीन करोड़ लोग मत्स्य पालन से जुड़े हुए हैं और भारत का वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने मछुआरों के बच्चों की शिक्षा के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया।
मध्यप्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन एवं मछुआ कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नारायण सिंह पंवार ने बताया कि राज्य सरकार मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए सतत प्रयास कर रही है। भोपाल में हलाली क्लस्टर की स्थापना की जा रही है, जो इस दिशा में एक बड़ा कदम होगा। उन्होंने मछुआ कल्याण की योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री मीनाक्षी योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, शिक्षा प्रोत्साहन योजना आदि की जानकारी भी साझा की।
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