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उर्वरकों और कीटनाशकों की गुणवत्ता पर सरकार की सख्त निगरानी, फसल अवशेष प्रबंधन और ड्रोन सेवाओं को भी बढ़ावा

नकली उर्वरकों पर सरकार की नजर
नकली उर्वरकों पर सरकार की नजर

किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रभावी और कठोर व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केंद्र (CIPMC), कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और राज्य कृषि विभागों के माध्यम से किसानों को रासायनिक कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल रासायनिक कीटनाशकों की खरीद पर कोई सब्सिडी योजना नहीं है। हालांकि, कीटनाशक अधिनियम 1968 और नियम 1971 के तहत गुणवत्ता की निगरानी सुनिश्चित की जा रही है। देशभर में 12,511 कीटनाशक निरीक्षक नियुक्त किए गए हैं जो समय-समय पर निर्माण इकाइयों और बिक्री केंद्रों से नमूने लेते हैं। 2020-21 से 2024-25 तक 3.56 लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 9,088 नमूने खराब गुणवत्ता के पाए गए और उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की गई।

कृषि यंत्रीकरण और महिला किसानों को बढ़ावा Agricultural mechanization and promotion of women farmers:

"सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकनाइजेशन" (SMAM) योजना के अंतर्गत किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है। इसके साथ ही, महिला किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) स्थापित करने हेतु विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। ड्रोन सेवा को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न वर्गों के किसानों, एफपीओ, सहकारी समितियों और कृषि स्नातकों को ₹5 लाख तक की सब्सिडी दी जा रही है।

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फसल अवशेष प्रबंधन के लिए खास योजना Special scheme for crop residue management:

2018-19 से "फसल अवशेष प्रबंधन योजना" लागू है, जिसके तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए उपकरणों पर सब्सिडी दी जा रही है।

उर्वरकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कानून:

सरकार ने 1985 में 'उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO)' लागू किया है, जो 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत आता है। इसके तहत रासायनिक, जैविक, कार्बनिक उर्वरकों व बायो-स्टीमुलेन्ट्स के मानक तय हैं। FCO की धारा 19 के अंतर्गत गैर-मानक उर्वरकों की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध है और उल्लंघन पर 3 माह से 7 वर्ष की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। राज्य सरकारें अपने उर्वरक निरीक्षकों के जरिए गुणवत्ता जांचती हैं।

जल प्रबंधन और वर्षा आधारित कृषि को भी समर्थन:

"पानी की हर बूंद, अधिक फसल (PDMC)" और "वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (RAD)" योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इनमें सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर) के ज़रिए जल उपयोग दक्षता बढ़ाने और इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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