मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि नर्सरी और बागवानी को प्रोत्साहित कर कम लागत में अधिक लाभ देने वाले फलदार और छायादार पौधों का बड़े पैमाने पर रोपण किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि आमजन और किसानों को प्रेरित किया जाए कि वे खुद पौधे खरीदने की बजाय उद्यानिकी विभाग से निःशुल्क या रियायती पौधे प्राप्त करें और उनका रोपण करें। यह अभियान सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि किसानों और महिला समूहों की आजीविका के लिए भी वरदान साबित होगा। “एक बगिया मां के नाम” योजना के अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को फलदार बागवानी के लिए तीन वर्षों तक आर्थिक सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि निजी क्षेत्र और किसानों की भागीदारी से इस अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया जाएगा। लाभकारी पौध प्रजातियों का चयन कर उनकी बढ़ती मांग के अनुसार पौध उत्पादन भी सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रमुख सचिव, पर्यावरण ने जानकारी दी कि 5 जून से प्रारंभ हुए इस अभियान के तहत अब तक राज्य भर में 5.54 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। अकेले वन विभाग ने ही 5.38 करोड़ पौधे रोपकर 95% से अधिक लक्ष्य हासिल कर लिया है। ‘मेरी लाइफ’ पोर्टल पर इन सभी आंकड़ों की मॉनिटरिंग की जा रही है।
“गंगोत्री हरित परियोजना” और “मां नर्मदा परिक्रमा पथ” जैसे क्षेत्रों में भी पौधरोपण शुरू हो चुका है। 15 अगस्त से 15 सितंबर तक “एक बगिया मां के नाम” अभियान चलाया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाली और आय के नए रास्ते खुलेंगे।
कृषि, दुग्ध और मत्स्य क्षेत्र में भी अवसर: मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश दूध उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है और हम शीघ्र ही शीर्ष पर पहुंचने का लक्ष्य रखे हुए हैं। राज्य में 6 करोड़ से अधिक पशुधन है साथ ही सिंचाई और मत्स्य उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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