प्रदेश सरकार द्वारा स्व-सहायता समूह की महिलाओं के आर्थिक समृद्धि के लिए लगातार नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी नरेगा के तहत "एक बगिया माँ के नाम" परियोजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर फलोद्यान विकसित किए जा रहे हैं। परियोजना को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है। निर्धारित लक्ष्य से अधिक 34,084 महिलाओं ने ऐप पर पंजीकरण कर भागीदारी सुनिश्चित की है।
परियोजना के अंतर्गत सरकार द्वारा पौधे, खाद, गड्ढे खोदने के लिए संसाधन, पौधों की सुरक्षा हेतु कटीली तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर क्षमता वाला जल कुंड उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश में बड़े पैमाने पर फलदार पौधों का रोपण शुरू हो चुका है।
स्व-सहायता समूह की महिलाओं का चयन “एक बगिया माँ के नाम” ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। इस ऐप का निर्माण मनरेगा परिषद द्वारा MPSEDC से कराया गया है। चयनित महिला के नाम पर भूमि न होने की स्थिति में पति, पिता, ससुर या पुत्र की सहमति से उनकी भूमि पर भी पौधरोपण किया जा सकेगा।
पहली बार अत्याधुनिक तकनीक से पौधरोपण: प्रदेश में पहली बार पौधरोपण के लिए सिपरी सॉफ्टवेयर आधारित वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है। इसके माध्यम से जमीन का परीक्षण, जलवायु और भूमि की उपयुक्तता, पौधे की किस्म व समय, सिंचाई की उपलब्धता जैसे पहलुओं का अध्ययन किया गया है। अनुपयुक्त भूमि पर पौधरोपण नहीं किया जाएगा। साथ ही संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
31 हजार से अधिक महिलाओं को मिलेगा लाभ: इस महत्वाकांक्षी परियोजना से प्रदेश की 31,300 से अधिक महिलाएँ लाभान्वित होंगी। उनकी निजी जमीन पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाए जाएंगे, जो दीर्घकाल में महिलाओं की आय और समृद्धि का आधार बनेंगे।
प्रशिक्षण और चयन प्रक्रिया: परियोजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक से न्यूनतम 100 हितग्राहियों का चयन किया जा रहा है। चयनित महिलाओं को वर्ष में दो बार प्रशिक्षण दिया जाएगा। लाभ प्राप्त करने के लिए महिला के पास न्यूनतम 0.5 एकड़ और अधिकतम 1 एकड़ भूमि होना अनिवार्य है।
कृषि सखी की तैनाती: हितग्राहियों की सहायता के लिए प्रति 25 एकड़ पर एक ‘कृषि सखी’ नियुक्त की जाएगी। ये कृषि सखी महिलाओं को खाद, पानी, कीट प्रबंधन, जैविक खाद-कीटनाशक बनाने और अंतरवर्तीय फसलों की खेती संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करेंगी।
ड्रोन और डैशबोर्ड से निगरानी: पौधरोपण की गुणवत्ता और प्रगति की निगरानी के लिए ड्रोन व सैटेलाइट इमेजिंग की व्यवस्था की गई है। साथ ही एक अलग डैशबोर्ड भी बनाया गया है। उत्कृष्ट प्रदर्शन पर प्रथम 3 जिले, 10 जनपद पंचायत और 25 ग्राम पंचायतों को सम्मानित किया जाएगा।
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