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किसानों के लिए खुशखबरी: सरकार लाई किसानों के लिये सुपारी उत्पादन बढ़ाने की योजना

सुपारी किसानों के लिए सरकार की नई योजना
सुपारी किसानों के लिए सरकार की नई योजना

नई दिल्ली के कृषि भवन में आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सुपारी (अरेका नट) विकास पर उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई। बैठक में विभिन्न मंत्री और कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में सुपारी फसल से जुड़े कई अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

वैज्ञानिक रिपोर्ट जल्द देने के निर्देश:

श्री चौहान ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट ने कर्नाटक की सुपारी को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। इस पर स्पष्टता लाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं और उन्हें तय समय सीमा में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

किसानों को नुकसान की भरपाई होगी:

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुपारी बागानों को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियों, विशेषकर एरिओलेट मिल्ड्यू जैसी समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक दल कार्य कर रहा है। स्वच्छ रोपण सामग्री उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई। उन्होंने आश्वासन दिया कि वायरल बीमारियों से किसानों को हुए भारी नुकसान की भरपाई उपयुक्त मुआवजे के माध्यम से की जाएगी।

अवैध आयात और मूल्य अंतर पर चर्चा:

बैठक में अवैध सुपारी आयात, नमी की समस्या और छोटी-बड़ी सुपारी के मूल्य अंतर जैसे मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा हुई। मंत्री ने कहा कि इन सभी समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से किया जाएगा और किसानों व उद्योग के हितों की पूर्ण सुरक्षा की जाएगी।

सुपारी का सांस्कृतिक और औषधीय महत्व: श्री चौहान ने कहा कि भारत में सुपारी का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा में भी उपयोगी है। उन्होंने घोषणा की कि वे स्वयं वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम के साथ कर्नाटक जाकर स्थिति का आकलन करेंगे और सुपारी खेती के विकास का रोडमैप तैयार करेंगे।

भारत: दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक देश:

भारत दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का करीब 63 प्रतिशत हिस्सा देता है। वर्ष 2023–24 में भारत ने करीब 14 लाख टन सुपारी का उत्पादन किया, जिसमें अकेले कर्नाटक से 10 लाख टन उत्पादन हुआ। सुपारी उत्पादन का कुल बाजार मूल्य लगभग ₹58,664 करोड़ आँका गया है। देश में करीब 60 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सुपारी खेती पर निर्भर हैं।

निर्यात और सरकारी कदम:

भारत ने 2023–24 में 10,637 टन सुपारी का निर्यात किया, जिसकी कीमत लगभग ₹400 करोड़ रही। मुख्य निर्यात बाजारों में यूएई, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया और मालदीव शामिल हैं।

किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की पहल:

सुपारी आयात पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है।
न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) को ₹251 प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर ₹351 प्रति किलोग्राम किया गया।
FSSAI ने गुणवत्ता मानकों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए।
पीली पत्ती रोग (YLD) और लीफ स्पॉट रोग (LSD) से निपटने के लिए राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति गठित की गई।
कर्नाटक को बीमारी प्रबंधन हेतु ₹3,700 लाख (2024–25) और ₹860.65 लाख (2025–26) की राशि आवंटित की गई।
2024–27 के लिए LSD प्रबंधन हेतु ₹6.316 करोड़ की परियोजना स्वीकृत।
सुपारी और मानव स्वास्थ्य पर आधारित साक्ष्य-आधारित शोध कार्य के लिए ₹9.99 करोड़ का प्रावधान।

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