कई राज्यों में धान की खेती में डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) तकनीक तेजी से अपनाई जा रही है। इससे खेत की तैयारी में मेहनत और खर्च दोनों कम होते हैं, लेकिन इसके साथ ही भूरा धब्बा रोग जैसी नई समस्या भी सामने आई है। यह रोग समय पर नियंत्रण न होने पर धान की फसल को 20 से 40 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है।
रोग फैलने के मुख्य कारण
भूरा धब्बा रोग के लक्षण
रोग का असर
प्रभावी रोकथाम के उपाय
जैविक व प्राकृतिक उपाय: जैविक खेती करने वाले किसान नीम का अर्क, गौमूत्र आधारित जैविक फफूंदनाशक या ट्राइकोडर्मा का प्रयोग कर सकते हैं। शुरुआती अवस्था में ये उपाय रोग नियंत्रण में प्रभावी साबित होते हैं।
किसानों के लिए सलाह: भूरा धब्बा रोग से बचाव के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। मौसम में बदलाव और खेत में अधिक नमी इस रोग को बढ़ावा देती है, इसलिए फसल की नियमित जांच करें और खेतों में पानी भराव से बचें। समय पर कार्रवाई और जागरूकता ही बेहतर पैदावार की कुंजी है।
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