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भारत में क्यों तेजी से बढ़ रही है ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की मांग?

ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की बढ़ती मांग
ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की बढ़ती मांग

भारतीय बाजार में ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की मांग लगातार और तेज़ी से बढ़ रही है। खासकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की प्राथमिकता अब रसायन-मुक्त, ट्रेस करने योग्य और टिकाऊ तरीके से उगाए गए खाद्य उत्पादों की ओर बढ़ रही है। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता, घरेलू आय में वृद्धि और प्रमाणित ऑर्गेनिक आपूर्ति श्रृंखला पर बढ़ता भरोसा इस मांग को और मजबूती दे रहा है।

इसी क्रम में National Cooperative Organics Limited (NCOL) अपने Bharat Organics ब्रांड के माध्यम से ऑर्गेनिक गेहूं और तूर दाल (अरहर) उत्पादक किसानों को बेहतर मूल्य, सुनिश्चित खरीद, कम इनपुट लागत, मजबूत प्रमाणन सहायता और देशभर में बाज़ार तक पहुंच सुनिश्चित कर रही है। NCOL द्वारा ऑर्गेनिक खेती से जुड़े किसानों के हित में कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है।

1) भारत ऑर्गेनिक्स द्वारा प्रत्यक्ष खरीद:

प्रमाणित किसानों से ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की सीधी खरीद की जाती है, जिससे

  1. पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित होता है
  2. समय पर भुगतान मिलता है
  3. कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आती है
  4. बिचौलियों द्वारा शोषण से मुक्ति मिलती है

2) MSP से अधिक मूल्य (MSP-प्लस):

बिचौलियों के बिना प्रत्यक्ष खरीद के कारण किसानों को पारंपरिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक प्रीमियम दाम मिलते हैं। इससे ऑर्गेनिक किसानों की आय अधिक और स्थिर होती है।

3) सुनिश्चित बाज़ार से जुड़ाव:

आधुनिक रिटेल, सरकारी आउटलेट्स, ई-कॉमर्स और संस्थागत खरीदारों के माध्यम से NCOL बाज़ार पहुंच का विस्तार कर रही है, जिससे बड़े पैमाने पर ऑर्गेनिक गेहूं और दालों की खरीद संभव हो रही है।

4) क्लस्टर आधारित ऑर्गेनिक खेती मॉडल:

NCOL, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और सहकारी समितियों को प्रमाणित ऑर्गेनिक पद्धतियाँ अपनाने में सहयोग देती है। इससे प्रति एकड़ इनपुट लागत घटती है और मिट्टी की सेहत में सुधार होता है।

5) प्रमाणन और ट्रेसबिलिटी में सहायता:

NPOP प्रमाणन, गुणवत्ता परीक्षण और डिजिटल ट्रेसबिलिटी के लिए सहयोग प्रदान किया जाता है, ताकि अनुपालन की वित्तीय जिम्मेदारी किसानों पर न पड़े। इससे उत्पादों की बाज़ार स्वीकार्यता और निर्यात क्षमता बढ़ती है।

6) ब्रांड आधारित वैल्यू एडिशन:

भारत ऑर्गेनिक्स ब्रांड के तहत उत्पादों की सफाई, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कर उन्हें D2C, ई-कॉमर्स और रिटेल नेटवर्क में बेचा जाता है। सहकारी विपणन के माध्यम से यह वैल्यू एडिशन किसानों को अधिक रिटर्न दिलाता है।

7) प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:

किसानों को ऑर्गेनिक खेती, मिट्टी पुनर्जीवन, कीट प्रबंधन और अवशेष-मुक्त उत्पादन के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे दीर्घकालिक उत्पादकता बढ़ती है और रसायनों पर निर्भरता कम होती है।

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