• होम
  • Wheat Farming: रबी सीजन में गेहूं की बुवाई शुरू! अगर ज्यादा...

Wheat Farming: रबी सीजन में गेहूं की बुवाई शुरू! अगर ज्यादा उत्पादन चाहिए, तो कृषि विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई इन उन्नत किस्मों को अपनाएं, सही समय और कीट-रोग से सुरक्षा के उपाय

गेहूं की उन्नत किस्में
गेहूं की उन्नत किस्में

Wheat Farming: रबी सीजन शुरू होते ही देश के किसान गेहूं की बुवाई में जुट गए हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के लिए सही समय पर उन्नत और प्रमाणित किस्मों का चयन बेहद जरूरी है। बेहतर किस्में न केवल ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि कीट-रोग से भी सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिससे लागत कम और मुनाफा अधिक होता है।

IIWBR ने जारी की गेहूं की उच्च उपज वाली किस्मों की सूची IIWBR releases list of high yielding wheat varieties:

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल ने रबी सत्र 2025-26 के लिए अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों और मिट्टी की बनावट के अनुसार गेहूं की सर्वोत्तम किस्मों की सिफारिश की है। यदि किसान अपने क्षेत्र के अनुसार सही किस्म का चयन करें, तो उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है।

गेहूं बुवाई का सही समय:

  • अगेती बुवाई: नवंबर का पहला सप्ताह
  • सामान्य/समय पर बुवाई: 20 नवंबर तक

समय पर बुवाई करने से पौधों की वृद्धि बेहतर होती है और पैदावार अधिक मिलती है।

अगेती बुवाई (Early Sowing) के लिए उपयुक्त किस्में:

NWPZ क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात)

सिंचित क्षेत्र की अनुशंसित किस्में:

  • DBW 187, DBW 303, WH 1270, DBW 327, DBW 322

CZ क्षेत्र (मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान):

  • DBW 187, DBW 303, DBW 327, JW 543, ये किस्में गर्म जलवायु सहन कर सकती हैं और अगेती बुवाई में शानदार उत्पादन देती हैं।

समय पर बुवाई (Timely Sowing) के लिए श्रेष्ठ किस्में:

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम यूपी) DBW 187, DBW 222, HD 3046, PBW 826 ,PBW 3226, HD 3086, HD 3386, HD 3411 के लिये अधिक दाने वाली रोग प्रतिरोधी उच्च उत्पादन क्षमता किस्में हैं।

NEPZ (बिहार, पूर्वी यूपी, बंगाल, झारखंड):

  • DBW 187, PBW 826, HD 3411
  • DBW 222, HD 3086, K 1006
  • DBW 386, DBW 252, HD 3293

गर्मी और नमी सहनशील, स्थानीय जलवायु के लिए उपयुक्त

उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ सुझाव:

  1. बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कराएं ताकि सही उर्वरक प्रबंधन किया जा सके
  2. केवल प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें (गैर-प्रमाणित बीज से 15–20% तक उत्पादन घट सकता है) क्षेत्र के अनुरूप सही किस्म का चयन करें 
  3. संतुलित खाद और समय पर सिंचाई अपनाएं

ये भी पढें- 

गेहूं की खेती में प्राकृतिक तरीका बना वरदान, लागत हुई आधी

गेहूं की खेती में सिंचाई और खाद का प्रबंधन जानें

khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें