मध्यप्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चावल की जगह गेहूं की मात्रा बढ़ाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चावल की अपेक्षा गेहूं का उपभोग अधिक होता है और चावल की अधिक आपूर्ति से दुरुपयोग की घटनाएं सामने आती हैं।
श्री राजपूत ने यह सुझाव नई दिल्ली में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी से भेंट के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि कई व्यापारी हितग्राहियों को चावल कम दाम में बेचने के लिए बहकाते हैं, जिससे वह बाज़ार में सस्ते में बिकता है और उसका दुरुपयोग होता है। ऐसे में गेहूं की मात्रा बढ़ाना एक सकारात्मक कदम होगा।
मंत्री श्री राजपूत ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि मध्यप्रदेश में विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूं की सरप्लस मात्रा को उपार्जन अवधि के बाद भारतीय खाद्य निगम को सी-मोड में उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने वर्ष 2021-22 के लिए लोडिंग एवं हैंडलिंग व्यय (₹2.89 प्रति क्विंटल) की स्वीकृति अब तक न मिलने की जानकारी दी और इस राशि को शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया।
मंत्री राजपूत ने वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत वितरित खाद्यान्न का डाटा भारत सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध होने की जानकारी दी और अनुरोध किया कि इसे सेंट्रल रिपॉजिटरी पोर्टल पर अपलोड करने की अनुमति दी जाए। साथ ही ₹1500 करोड़ की लंबित अनुदान राशि के भुगतान की मांग भी रखी, जिस पर केंद्रीय मंत्री जोशी ने शीघ्र निर्णय का आश्वासन दिया।
श्री राजपूत ने वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच समर्थन मूल्य पर उपार्जित 2.95 लाख मीट्रिक टन मोटे अनाज की आपूर्ति को लेकर उपार्जन प्लान की स्वीकृति की माँग भी की। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज का वितरण पहले ही पात्र परिवारों को कर दिया गया है, लेकिन उपार्जन योजना की औपचारिक स्वीकृति न होने से अनुदान राशि लंबित है, जिसे जल्द जारी किया जाना चाहिए।
उपार्जन पर कमीशन और लेबर चार्ज बढ़ाने की अपील: मंत्री श्री राजपूत ने सहकारी संस्थाओं को मिलने वाले कमीशन में वर्ष 2013 के बाद कोई वृद्धि न होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों को अधिक कमीशन मिल रहा है, जबकि मध्यप्रदेश की समितियों को वास्तविक लागत की भरपाई नहीं हो रही। उन्होंने कमीशन राशि ₹43 प्रति क्विंटल और लेबर खर्च ₹23 प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया।