मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 10 से 13 अगस्त 2025 के बीच टमाटर की कीमतों में बड़ी अस्थिरता देखने को मिली। इस दौरान कई जगहों पर दामों में अचानक तेज उछाल आया, जबकि कुछ मंडियों में कीमतें लगभग स्थिर रहीं।
मध्य प्रदेश के राजगढ़ में 11 अगस्त को टमाटर का औसत भाव ₹2,500 से बढ़कर ₹4,400 तक पहुंच गया, जबकि 10 अगस्त को यह ₹4,500 प्रति क्विंटल तक दर्ज हुआ था। होशंगाबाद (पिपरिया) मंडी में भी भाव ₹3,200 तक चढ़ गए। हालांकि रतलाम की जावरा मंडी में कीमतें लगभग स्थिर ₹3,800–₹4,000 के बीच बनी रहीं। हरदा और खंडवा की देसी किस्मों में बड़े बदलाव नहीं हुए और दाम ₹4,000–₹4,500 के आसपास रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ किस्मों में एक ही दिन में ₹500 से ₹2,000 प्रति क्विंटल तक का उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जो मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन का संकेत है।
"उत्तर प्रदेश में कीमतों का अलग-अलग रुख"
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में देसी किस्मों के दाम अपेक्षाकृत स्थिर रहे। अमरोहा, मैनपुरी और लखनऊ में कीमतों में ₹100–₹200 तक का ही अंतर आया। दूसरी ओर, कुछ जिलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई—गाज़ियाबाद में भाव ₹3,845 से ₹3,855 तक मामूली बढ़े, जबकि श्रावास्ती में ₹5,800 और सहारनपुर के गंगोह में ₹4,200 से ₹5,200 तक का बड़ा उछाल देखने को मिला। मेरठ और बरेली की स्थानीय किस्मों में खास बदलाव नहीं हुआ।
आपूर्ति में कमी से बढ़ी कीमतें
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, टमाटर की आपूर्ति में कमी आने से कीमतों में तेजी आई है। पहले राजस्थान और हरियाणा से बड़ी मात्रा में टमाटर आ रहा था, लेकिन कम दामों के कारण कई किसानों ने बिक्री रोक दी। वर्तमान में आपूर्ति हिमाचल प्रदेश, हरियाणा के करनाल, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और कर्नाटक से हो रही है।
गर्मी और बारिश के कारण टमाटर तेजी से खराब हो रहे हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है। जानकारों का अनुमान है कि अगले एक-दो महीने तक कीमतों में गिरावट की संभावना कम है। राहत तभी मिलेगी जब नई फसल बाजार में पहुंचेगी।
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