राज्य सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। इसके तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने, फसलों के विविधीकरण तथा पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसी अतिरिक्त गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सभी संबंधित विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करते हुए खेत स्तर पर किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि आयुक्त ने निर्देश दिया है कि किसानों को उन्नत बीज किस्मों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाए। बायोफोर्टिफाइड गेहूं की किस्में जैसे एचआई 1650, 1636, 1633 और 1655 आयरन और जिंक से भरपूर हैं और स्वास्थ्य के लिहाज से लाभकारी हैं। इसके साथ ही 'पूसा अरहर 16' जैसी उच्च उत्पादकता वाली दाल की किस्में भी किसानों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित की जा रही हैं।
किसानों को प्रेशराइज्ड पाइप प्रणाली से सिंचाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसमें सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है। मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के माध्यम से अधिक से अधिक खेतों की मिट्टी का परीक्षण कर, वैज्ञानिक तरीके से उर्वरकों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
कृषि यंत्र और ई-मंडी की सुविधा: कस्टम हायरिंग सेंटर्स के माध्यम से किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, किसानों को ई-मंडी और फार्म गेट एप जैसी डिजिटल सुविधाओं से जोड़ने पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि वे बिना किसी बिचौलिए के, सीधे अपने खेत से ही फसल बेच सकें।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता: नरवाई (फसल अवशेष) जलाने से खेत की उपजाऊ क्षमता घटती है। किसानों को इसके स्थान पर हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसी तकनीकों से बुआई करने की सलाह दी जा रही है, जिससे न केवल खेत की गुणवत्ता बनी रहती है बल्कि फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है। जिन किसानों ने इन तकनीकों को अपनाया है, उन्हें रोल मॉडल के रूप में प्रचारित किया जाएगा।
उर्वरकों के बेहतर विकल्प: किसानों को पारंपरिक डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक के उपयोग की सलाह दी गई है, जिसमें फसल के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। उर्वरकों के वितरण के लिए डबल लॉक गोदामों के आधुनिकीकरण और किसान केंद्रों पर बैठने की बेहतर व्यवस्था करने पर भी बल दिया गया है।