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Soil Health: मिट्टी की सेहत जांचने की नई तकनीक, किसानों को मिनटों में मिलेगा सटीक डेटा

मिट्टी की जांच
मिट्टी की जांच

कृषि क्षेत्र में एक बड़ी तकनीकी प्रगति के तहत, अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अत्याधुनिक प्रणाली विकसित की है, जो अब मिट्टी की गुणवत्ता का आकलन मिनटों में कर सकती है। यह खोज खासतौर पर उन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो सूखा प्रभावित या अर्ध-शुष्क इलाकों में खेती करते हैं।

सैटेलाइट इमेज और स्पेक्ट्रोस्कोपी का समावेश:

इस नवाचार में उपग्रह चित्रण (सैटेलाइट इमेजिंग) और स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसकी सहायता से वैज्ञानिक 81 प्रतिशत तक की सटीकता के साथ यह जानने में सफल हुए हैं कि मिट्टी में क्षरण किस स्तर तक हुआ है। यह पहली बार है जब अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए इतनी प्रभावी और भरोसेमंद प्रणाली तैयार की गई है।

लैब परीक्षण की तुलना में तेज और सस्ता विकल्प:

परंपरागत प्रयोगशाला जांच जहां हफ्तों का समय लेती है और महंगी भी साबित होती है, वहीं यह नई तकनीक बेहद तेज और कम लागत में काम करती है। इससे किसानों को तुरंत मिट्टी की स्थिति की जानकारी मिल सकेगी, जिससे वे मौसम और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए कृषि की योजना बना पाएंगे।

सिंचित क्षेत्रों में मिट्टी की सेहत बेहतर, फसलों को नुकसान कम:

अध्ययन में यह भी सामने आया कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा थी, वहां मिट्टी के खराब होने का असर फसलों पर अपेक्षाकृत कम पड़ा। इसके विपरीत, वर्षा पर निर्भर रहने वाले इलाकों में मिट्टी की सेहत बिगड़ने से उत्पादन में गिरावट देखी गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सिंचाई व्यवस्था मिट्टी के क्षरण को सीमित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।

हर खेत के लिए अलग विश्लेषण, छोटे किसान उठाएंगे बड़ा फायदा:

यह तकनीक छोटे और सीमांत किसानों के लिए खासतौर पर उपयोगी साबित हो सकती है, क्योंकि यह खेतवार जानकारी देती है। इससे किसान जान पाएंगे कि किस हिस्से में सिंचाई की जरूरत है और कहां मिट्टी सुधार के प्रयास करने होंगे। इससे लागत भी घटेगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

सरकार और योजनाकारों को मिलेगा मजबूत डेटा सहयोग:

ICRISAT के रिसर्च और इनोवेशन विभाग के उपमहानिदेशक स्टैनफोर्ड ब्लेड का कहना है कि यह तकनीक सिर्फ किसानों ही नहीं, बल्कि नीति निर्माताओं के लिए भी उपयोगी है। इससे समय पर सटीक डेटा मिल सकेगा, जिससे कृषि योजनाओं और संसाधनों का वितरण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। इसका सीधा असर खाद्य सुरक्षा और खेती की उत्पादकता पर पड़ेगा।

टिकाऊ खेती की दिशा में कदम: कुल मिलाकर, यह तकनीक मिट्टी की सेहत की निगरानी को आसान और तेज बनाती है। इससे खेती की उत्पादकता बढ़ेगी, छोटे किसानों को समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकेगा।

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