मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसी क्रम में, "प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना" के अंतर्गत प्रदेश के सभी शासकीय भवनों को दिसंबर 2025 तक सौर ऊर्जा से सुसज्जित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
इसके लिए RESCO मॉडल के तहत सभी जिलों के लिए अलग-अलग निविदाएं जारी कर दरें आमंत्रित की गई हैं। RESCO यानी Renewable Energy Service Company मॉडल में शासकीय भवनों की छतों पर सोलर संयंत्र लगाने के लिए शासकीय विभागों को कोई निवेश नहीं करना होगा। उन्हें केवल उपयोग की गई बिजली के लिए प्रति यूनिट भुगतान करना होगा, जो कि बाजार दरों की तुलना में काफी कम होगी।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री राकेश शुक्ला ने बताया कि यह मॉडल "शून्य निवेश, पहले दिन से बचत और नेट ज़ीरो" सिद्धांत पर आधारित है। इससे शासकीय कार्यालय ऊर्जा लागत में भारी बचत कर सकेंगे।
RESCO मॉडल के अंतर्गत, सभी परियोजनाएं 25 वर्षों की अवधि के लिए लागू होंगी। इस दौरान संयंत्र का संपूर्ण रखरखाव भी RESCO इकाई द्वारा ही किया जाएगा। उनकी आय पूरी तरह से सौर ऊर्जा उत्पादन पर निर्भर होगी, जिससे वे अधिकतम उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे और शासकीय विभागों को ज़्यादा से ज़्यादा लाभ मिलेगा।
वर्ष 2018 से 2020 के बीच मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा 133 शासकीय भवनों में RESCO मॉडल के तहत सोलर संयंत्र लगाए गए थे। इनमें IIM इंदौर, CAPT भोपाल, मेडिकल कॉलेज (रीवा, शिवपुरी, खंडवा, दतिया, विदिशा), NLIU भोपाल, AG कार्यालय ग्वालियर, SAI भोपाल और पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं, जहां यह मॉडल सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। ऊर्जा मंत्री श्री शुक्ला ने विश्वास जताया कि "प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना" के दक्षतापूर्ण क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश जल्द ही सौर ऊर्जा उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
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