महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 'पालना योजना' के अंतर्गत 14,599 आंगनवाड़ी-कम-क्रेच (AWCCs) को मंजूरी दी है। यह एक अभूतपूर्व पहल है, जिसके तहत पूरे दिन बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरण में सेवा प्रदान की जाएगी।
पालना योजना को मिशन शक्ति के अंतर्गत 1 अप्रैल 2022 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य 6 माह से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण क्रेच सुविधाएं, पोषण सहायता, स्वास्थ्य देखभाल, वृद्धि निगरानी और टीकाकरण सेवाएं प्रदान करना है।
महिलाओं की शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार को लेकर सरकार के सतत प्रयासों से कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। वहीं, शहरीकरण और संयुक्त परिवारों के विघटन से कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की देखभाल चुनौती बन गई है। पारिवारिक सहयोग की अनुपस्थिति में गुणवत्तापूर्ण क्रेच सेवाओं की मांग बढ़ गई है, जो अब तक एक प्रमुख अवरोधक रही हैं। पालना योजना इसी चुनौती से निपटने की दिशा में एक ठोस कदम है।
इस योजना के तहत क्रेच सेवाएं अब औपचारिक रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से दी जाएंगी। इससे न केवल बच्चों को दिनभर की देखभाल और पोषण मिलेगा, बल्कि महिलाओं को कार्यबल में भागीदारी का बेहतर अवसर भी मिलेगा। यह पहल 'सतत विकास लक्ष्य 8' गरिमामय कार्य और आर्थिक वृद्धि — को भी मजबूती देती है।
आंगनवाड़ी-कम-क्रेच: एक बड़ा कदम:
भारत में आंगनवाड़ी केंद्र पहले से ही विश्व की सबसे बड़ी बाल देखभाल प्रणाली हैं। अब इन्हें क्रेच सेवाओं से जोड़कर बच्चों को अंतिम छोर तक देखभाल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना है, जिससे वे बिना चिंता के रोजगार से जुड़ सकें।
लक्ष्य और प्रगति: वित्त वर्ष 2025-26 तक कुल 17,000 आंगनवाड़ी-कम-क्रेच स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव मांगे गए हैं, जो योजना के क्रियान्वयन में अपनी हिस्सेदारी भी देते हैं। अब तक विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर 14,599 AWCCs को मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है।