जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है और अधिकतर किसान पारंपरिक रोपा विधि का उपयोग करते हैं। लेकिन अब कृषि विभाग द्वारा किसानों को श्री विधि (एस.आर.आई.) से धान की रोपाई करने की सलाह दी जा रही है, जिसे अधिक लाभकारी और उत्पादन बढ़ाने वाली तकनीक माना जा रहा है।
कृषि उपसंचालक श्री यू.पी. बागरी ने बताया कि श्री विधि किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस तकनीक में कम बीज, कम पानी और कम श्रम में भी अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जहां परंपरागत विधि से प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल धान का उत्पादन होता है, वहीं श्री विधि से इसका उत्पादन 35-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि उपसंचालक ने बताया कि इस विधि में केवल 6 से 8 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। बीजों की नर्सरी प्लेट या पॉलीथीन में तैयार की जाती है, जिसमें भुरभुरी मिट्टी और राख होना जरूरी है। इसके लिए 10 मीटर लंबी और 5 सेंटीमीटर ऊंची क्यारी बनाकर उसमें 50 किलो गोबर या नाडेप खाद मिलाई जाती है। प्रत्येक क्यारी में लगभग 120 ग्राम बीज की बुआई की जाती है।
बीजों को बुआई से पहले थायरम दवा से उपचारित करना आवश्यक है। बुआई के बाद बीजों को ढंककर हल्की सिंचाई करें। रोपाई के लिए खेत की गहरी जुताई कर खरपतवार साफ करें और उचित जलभराव के साथ खेत तैयार करें।
धान रोपाई में रखें ये बातें ध्यान:
उत्पादन और संपर्क की जानकारी: श्री विधि से धान की खेती करने पर किसान 35 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक धान की पैदावार ले सकते हैं। इस पद्धति के संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।