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Dhan ki kheti: धान की फसल को बर्बाद कर सकते हैं ये 3 कीट, जानिए बचाव और सिंचाई का सही तरीका

धान की फसल पर हमला करते हुए कीट
धान की फसल पर हमला करते हुए कीट

देशभर के अधिकांश किसान इस समय धान की रोपाई कर चुके हैं, जबकि कुछ राज्यों में किसान अभी पछेती किस्मों की रोपाई में जुटे हैं। लेकिन कई बार किसानों को यह जानकारी नहीं होती कि रोपाई के बाद फसल में कब और कितनी सिंचाई करनी चाहिए, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, धान की फसल में सिंचाई का सही समय और मात्रा।

रोपाई के समय कितना पानी देना चाहिए?

धान की रोपाई से पहले खेत में पानी भरकर रोटावेटर से जुताई करनी चाहिए। रोपाई करते समय खेत में लगभग 5 सेंटीमीटर पानी होना चाहिए। यह जल स्तर रोपाई के बाद अगले 20 दिनों तक बना रहना चाहिए। यदि ऐसा न किया जाए तो खेत में खरपतवार उगने लगते हैं। कई बार पानी सूखने से पौधे पीले पड़ने लगते हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है।

कब न करें अधिक सिंचाई?

रोपाई के 25 दिन बाद पौधों में कल्ले (टिलर) निकलने लगते हैं। इस अवस्था में अत्यधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए। यदि बारिश न हो तो हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में दरारें न पड़े और पौधों की ग्रोथ बाधित न हो।

बाली निकलते समय रखें विशेष ध्यान:

  • जब पौधों में बाली निकलने लग जाये तो 3-4 सेंटीमीटर पानी खेत में अवश्य होना चाहिए।
  • इस अवस्था में दानों का बनना शुरू होता है, और पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
  • समय पर सिंचाई से दानों की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार होता है।

धान को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कीट और उनके उपाय:

  1. पत्ती लपेटक कीट: इसकी सुंडी (लार्वा) पत्तियों के दोनों किनारों को रेशम जैसे धागे से जोड़कर उन्हें लपेट लेती है और भीतर छिपकर हरे पदार्थ (क्लोरोफिल) को खुरचकर खाती है। प्रभावित पत्तियां ऊपर से सफेद और जालीदार दिखने लगती हैं और अंततः सूख जाती हैं। उपाय- फसल में प्रकोप दिखने पर, खेत के दोनों किनारों से एक लंबी रस्सी को फसल के ऊपर से फिराएं। इससे पत्तियों में छिपी सुंडियां हिलकर पानी में गिर जाती हैं और डूबकर नष्ट हो जाती हैं। 
  2. तना छेदक (Stem Borer): यह कीट पौधे के गाभे को अंदर से खा जाता है, जिससे 'डेड हार्ट' या 'सफेद बाली' की समस्या होती है। उपाय: कार्बोफ्यूरॉन 3G: 20 किग्रा/हेक्टेयर या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4G: 18 किग्रा/हेक्टेयर का उपयोग करें।
  3. प्लांट हॉपर: प्लांट हॉपर कीट पत्तियों पर भूरे और सफेद रंग के निम्फ दिखाई देते हैं। पत्तियों की मध्य शिरा में अर्धचन्द्राकार अंडे दिखाई दे सकते हैं। पत्तियां पीले और नारंगी रंग में बदल रही हैं। उपाय- नाइट्रोजन उर्वरकों का कम उपयोग और खरपतवारों को हटाना। रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से बचें। पौधों को कीटों के सीधे संपर्क से बचाने के लिए दिन में एक बार पर्याप्त मात्रा में पानी दें, ताकि पौधों के केवल शीर्ष ही दिखाई दें। 

धान की बुवाई बढ़ी, लेकिन कीटों से भी बढ़ा खतरा: एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के खरीफ सीजन में धान की बुवाई का क्षेत्रफल 245.1 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो पिछले साल से 13.4% अधिक है। यह अच्छी खबर है, लेकिन इसके साथ कीट प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।

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