• होम
  • धान की फसल में रोग और कीट का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की एडव...

धान की फसल में रोग और कीट का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की एडवायजरी

धान की फसल में रोग और कीट के लक्षण
धान की फसल में रोग और कीट के लक्षण

गर्म मौसम, अधिक नमी और बारिश में अंतराल के चलते जिले में धान की फसल पर रोग और कीट का असर देखने को मिल रहा है। किसानों की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कृषि विभाग ने विशेष एडवायजरी जारी की है। प्रमुख रूप से ब्लास्ट रोग, जीवाणु पत्ती झुलसा रोग और भूरा माहू (बीपीएच) कीट का प्रकोप देखा जा रहा है।

ब्लास्ट रोग (Blast Disease):

  • कारण: यह रोग पायरीक्यूलेरिया ओरिजे नामक फंगस से फैलता है।
  • पहचान: पत्तियों पर पीले-भूरे अंडाकार धब्बे, जो बाद में आँख जैसी आकृति में बदल जाते हैं। गंभीर अवस्था में दाने काले पड़ जाते हैं।

उपाय:

  • संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन व पोटाश उर्वरक का उपयोग करें।
  • प्रति एकड़ 120–150 ग्राम ट्राईसाइक्लाज़ोल 75% WP को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • आवश्यकता अनुसार 10–15 दिन बाद कासुगामाइसिन 3% SL या अन्य अनुमोदित फफूंदनाशक का प्रयोग करें।

जीवाणु पत्ती झुलसा रोग (Bacterial Leaf Blight):

  • कारण: जैथोमोनास ओराइजी नामक जीवाणु।
  • पहचान: पत्तियों के किनारों पर कत्थई-पीली धारियाँ बनना, सिकुड़ना और सूखना। सुबह के समय पत्तियों पर पीले तरल की बूंदें दिख सकती हैं।

•    उपाय:

  • खेत में पानी का स्तर नियंत्रित रखें, जलभराव से बचें।
  • रोग की स्थिति में यूरिया का उपयोग न करें।
  • प्रति एकड़ कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP (500 ग्राम) + स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15–20 ग्राम को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • आवश्यकता पड़ने पर 10–15 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।

भूरा माहू (Brown Planthopper – BPH):

पहचान:

  • पौधों के निचले हिस्से में कीट का जमाव।
  • पत्तियाँ पीली होकर किनारों से सूखने लगती हैं।
  • खेत में चकत्तों के रूप में फसल सूखने लगती है।

उपाय:

  • खेत में पानी का संतुलन बनाएँ। समय-समय पर जल भराव और निकासी करें।
  • प्रति एकड़ 150–200 लीटर पानी से छिड़काव करें ताकि दवा पौधे की जड़ तक पहुँचे।
  • नियंत्रण के लिए अनुमोदित कीटनाशकों जैसे पायमेट्रोजिन 50% WG (300 ग्राम/हे.), डायनोटेफ्यूरोन 70% WG (85 ग्राम/हे.), थायोमेथेक्जाम 25% WG (100–120 ग्राम/हे.) या अन्य सुझाई गई दवाओं का प्रयोग करें।
     
लेटेस्ट
khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें