मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के उद्देश्य से विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि राज्य सरकार भावांतर योजना के तहत अब सरसों और मूंगफली उत्पादक किसानों को भी लाभ देने की कार्य-योजना तैयार कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मौसम आधारित फसल बीमा योजना शीघ्र लागू की जाएगी। साथ ही किसानों तक उर्वरक समय पर पहुंचाने के लिए होम-डिलेवरी सेवा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मंत्री श्री सारंग ने बताया कि आज़ादी से पहले भारतीय कृषि अत्यंत पिछड़ी, कम उत्पादक और मानसून पर निर्भर थी। हरित क्रांति (1960 के दशक) के बाद उच्च उपज वाले बीज, उर्वरक और सिंचाई के उपयोग से खाद्यान्न उत्पादन में तेज़ वृद्धि हुई और देश खाद्य सुरक्षा के करीब पहुंचा। हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई। श्वेत क्रांति में डॉ. वर्गीज कुरियन और त्रिभुवनदास पटेल का योगदान उल्लेखनीय रहा, जबकि नीली क्रांति ने मत्स्य उत्पादन को नई दिशा दी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इन क्रांतियों का समन्वय करते हुए कृषि क्षेत्र का रकबा वर्ष 2002-03 के 199 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2024-25 में 297 लाख हेक्टेयर कर दिया है। उद्यानिकी फसलों का रकबा भी इसी अवधि में 4.67 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 26.36 लाख हेक्टेयर हो गया है। भावांतर योजना के प्रशासनिक व्यय को कम कर राज्य ने 1600 करोड़ रुपये की बचत की है।
मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री कृषि उन्नति योजना, रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना, ई-विकास, परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने से किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश गेहूं क्षेत्रफल में द्वितीय, मक्का क्षेत्रफल में प्रथम, चना और उड़द उत्पादन में द्वितीय तथा मसूर क्षेत्रफल में प्रथम स्थान पर है। ई-मंडी प्रक्रिया का पूर्ण डिजिटलीकरण किया गया है और कृषि अवसंरचना निधि के क्रियान्वयन में प्रदेश देश में प्रथम रहा है। सभी 298 उपमंडियों में ई-मंडी शुरू की जा चुकी हैं।
नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत आगामी वर्ष में 1066 किसान ड्रोन महिला स्व-सहायता समूहों को दिए जाएंगे। नरवाई प्रबंधन में सीबीजी प्लांट के साथ पराली से वैकल्पिक ऊर्जा का व्यावसायिक मॉडल विकसित किया जा रहा है। वर्ष 2026 को ‘कृषि वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। सहकारी क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के तहत कमजोर जिला बैंकों को वित्तीय सहायता, एम-पैक्स का 100% कम्प्यूटरीकरण और सीपीपीपी मॉडल से निजी भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
दुग्ध, गौ-संरक्षण और मत्स्यपालन: गोपालन से किसानों की आय बढ़ाने, दुग्ध समृद्धि अभियान से दुग्ध उत्पादन दोगुना करने और पशुपालन को लाभ का व्यवसाय बनाने पर सरकार काम कर रही है। सहकारी प्रणाली और ‘सांची’ ब्रांड को सशक्त करने के लिए National Dairy Development Board के साथ सहयोग पर सहमति बनी है।
गौ-संरक्षण को सशक्तिकरण से जोड़ते हुए मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम-2024 को और कठोर बनाया गया है, जिसमें अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहनों की राजसात का प्रावधान शामिल है। साथ ही मत्स्यपालन के उन्नयन की दिशा में भी निरंतर कार्य जारी है।