मध्य प्रदेश में कई ऐसे प्राचीन और आस्था से भरपूर मंदिर हैं जो भगवान गणेश को समर्पित हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक दृष्टि से भी विशेष स्थान रखते हैं। नीचे गणेश जी के 10 प्रसिद्ध मंदिरों की जानकारी दी जा रही है:
यह उज्जैन का सबसे प्राचीन गणेश मंदिर माना जाता है।
यहां भगवान गणेश "चिंतामण", "इच्छामण" और "सिद्धिविनायक" स्वरूपों में विराजित हैं।
मान्यता है कि यहां दर्शन करने से जीवन की चिंताएं दूर होती हैं।
यह मंदिर अपनी 25 फीट ऊँची गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जो देश की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है।
मंदिर स्थापत्य और भव्यता के कारण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
यह मंदिर रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाया गया था।
यहाँ श्रद्धालु धागा बांधकर मन्नत माँगते हैं और मानते हैं कि मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं।
4. बड़ा गणेश मंदिर – उज्जैन:
यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के समीप स्थित है।
यहाँ भगवान गणेश की विशाल और भव्य प्रतिमा स्थापित है, जो अद्भुत कलाकारी से बनी है।
5. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर – खंडवा:
यह स्थान 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
ओंकारेश्वर में मुख्य शिव मंदिर के पास एक गणेश मंदिर भी स्थित है, जहाँ दर्शन करना शुभ माना जाता है।
6. कंदरिया महादेव मंदिर – खजुराहो:
यह विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर समूह का हिस्सा है।
यद्यपि यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, परिसर में गणेश जी की भी मूर्तियाँ स्थित हैं, जो खजुराहो की मूर्तिकला में विशेष स्थान रखती हैं।
7. महाकालेश्वर मंदिर परिसर – उज्जैन:
यह भी एक ज्योतिर्लिंग स्थल है।
मुख्य मंदिर परिसर में एक छोटा गणेश मंदिर भी है, जहाँ श्रद्धालु पहले गणेश जी का दर्शन करते हैं।
8. चौसठ योगिनी मंदिर – भेड़ाघाट (जबलपुर):
यह प्राचीन तांत्रिक शैली का मंदिर है।
64 योगिनियों की प्रतिमाओं के बीच में गणेश जी की मूर्ति भी प्रतिष्ठित है।
9. आदिनाथ मंदिर – खजुराहो:
यह मंदिर जैन धर्म से संबंधित है, लेकिन इसके स्तंभों और दीवारों पर गणेश जी की मूर्तियाँ भी खुदी हुई हैं, जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक हैं।
10. काल भैरव मंदिर – उज्जैन:
यह मंदिर काल भैरव को समर्पित है, जहाँ गणेश जी की मूर्ति भी उपस्थिति है।
विशेषकर त्योहारों और चतुर्थी पर यहाँ दर्शन करने का विशेष महत्व माना जाता है।
ये भी पढ़ें- कब होगी भगवान गणेश की स्थापना? जानें गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि और पूजा विधि