इस बार मानसून केरल में 27 मई को समय से पहले पहुंच सकता है, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन होगा। IMD के अनुसार इस साल अल नीनो का असर नहीं रहेगा और सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया है कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में समय से पहले यानी 27 मई को दस्तक दे सकता है। आमतौर पर यह 1 जून को पहुंचता है। अगर ऐसा होता है, तो 2009 के बाद यह सबसे जल्दी आने वाला मानसून होगा।
भारत में मानसून की शुरुआत आमतौर पर जून के पहले सप्ताह में केरल से होती है और यह जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। सितंबर के मध्य से वापसी शुरू होती है और अक्टूबर के मध्य तक खत्म हो जाती है।
पिछले वर्षों में केरल में मानसून आगमन की तारीखें:
IMD के अनुसार, मानसून के जल्दी या देर से आने का देशभर में होने वाली कुल बारिश पर सीधा असर नहीं पड़ता। हर साल की बारिश वैश्विक और स्थानीय स्थितियों पर निर्भर करती है।
इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद: IMD ने बताया है कि 2025 में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। अल नीनो का इस बार असर नहीं होगा, जो आमतौर पर बारिश को कम करता है। अनुमान है कि जून से सितंबर के बीच कुल बारिश दीर्घकालिक औसत (87 सेमी) का करीब 105% हो सकती है।
भारत में बारिश का पैमाना: भारत मौसम विभाग (IMD) हर साल की बारिश को पिछले 50 वर्षों के औसत यानी 87 सेंटीमीटर से तुलना करके उसका आकलन करता है। अगर बारिश 96% से 104% के बीच हो, तो इसे "सामान्य", 90%-95% के बीच "सामान्य से कम", 105%-110% के बीच "सामान्य से अधिक" और 110% से ज्यादा होने पर "अधिक बारिश" माना जाता है। 90% से कम बारिश को "कम बारिश" कहा जाता है। यह पैमाना खेती और जल प्रबंधन की योजना बनाने में मदद करता है।
क्यों जरूरी है मानसून? भारत में करीब 42% आबादी की आजीविका खेती पर निर्भर है। मानसून न सिर्फ फसलों के लिए जरूरी है, बल्कि जलाशयों, पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए भी अहम भूमिका निभाता है।
ये भी पढें- उत्तर भारत से दक्षिण तक बारिश और आंधी का कहर