प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ने आज अपने 11 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम माना जाता है, जिसने अब तक करोड़ों गरीब और वंचित नागरिकों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर कहा कि वित्तीय समावेशन आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। जन धन योजना के माध्यम से गरीब और वंचित वर्ग को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़कर उन्हें अवसर, गरिमा और सशक्तिकरण मिला है।
जन-धन–आधार–मोबाइल (JAM) तिकड़ी ने सब्सिडी और सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाने की पारदर्शी प्रणाली उपलब्ध कराई है। वित्त वर्ष 2024-25 में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ₹6.9 लाख करोड़ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए।
जन धन खातों के साथ मुफ्त रूपे डेबिट कार्ड, ₹2 लाख तक का दुर्घटना बीमा, ₹10,000 तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी मिलता है। इससे न केवल बचत की आदत विकसित हुई है बल्कि जरूरत पड़ने पर छोटे ऋण लेने की सुविधा भी मिली है।
रूपे कार्ड, यूपीआई और डिजिटल भुगतान प्रणाली के विस्तार से डिजिटल लेन-देन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में जहाँ 2,338 करोड़ डिजिटल लेन-देन हुए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 22,198 करोड़ तक पहुँच गई।
राज्यों और बैंकों की भूमिका: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर भी सबसे सफल वित्तीय समावेशन योजनाओं में से एक है। उन्होंने बताया कि जुलाई से सितंबर 2025 तक देशभर में संतृप्ति अभियान (Saturation Campaign) चलाया जा रहा है, जिसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में शिविर लगाकर नए खाते खोले जा रहे हैं, बीमा और पेंशन योजनाओं में नामांकन हो रहा है तथा KYC अपडेट कराए जा रहे हैं।
भविष्य की दिशा: सरकार का लक्ष्य है कि हर घर में बैंक खाता हो और हर वयस्क नागरिक बीमा व पेंशन जैसी वित्तीय सुरक्षा योजनाओं से जुड़ा हो। इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि भारत एक सशक्त और वित्तीय रूप से समावेशी समाज बन सके।
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