मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य के प्रत्येक घर में स्मार्ट मीटर लगाए जाएं ताकि उपभोक्ताओं को 20 प्रतिशत तक सस्ती बिजली मिल सके। स्मार्ट मीटर मॉडल को उपभोक्ताओं के लिए सबसे उपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ता अपनी खपत का आकलन कर स्मार्ट तरीके से बिजली का उपयोग कर सकते हैं और बिल की राशि में कमी ला सकते हैं।
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सालभर मेंटीनेंस गतिविधियां संचालित की जाएं, ताकि आंधी, बारिश या अन्य कारणों से आपूर्ति बाधित न हो। मेंटीनेंस कार्यों में नई तकनीक और आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाए और पेड़ों के नीचे से गुजरने वाली बिजली लाइनों को कोटिंग की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घरेलू और औद्योगिक दोनों ही क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। इससे उपभोक्ता स्वयं बिजली उत्पादन कर अतिरिक्त ऊर्जा को बेच भी सकेंगे। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सोलर पंपों के उपयोग को बढ़ावा देने और जरूरत वाले जिलों में ट्रांसफार्मर रिपेयर यूनिट स्थापित करने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि रबी सीजन 2025-26 के दौरान बिजली की मांग लगभग 20,200 मेगावॉट रहने की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष यह मांग 18,913 मेगावॉट थी। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग को पहले से तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि उपभोक्ताओं के बकाया बिजली बिल समाधान के लिए ‘वन टाइम सेटलमेंट स्कीम’ शुरू की जा रही है। इस योजना के तहत सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को अधिभार में छूट दी जाएगी और छह माह की अवधि में राशि जमा करनी होगी। तय समय में भुगतान नहीं करने पर कनेक्शन काट दिए जाएंगे।
सरकारी कार्यालयों में प्री-पेड मीटर अनिवार्य: बैठक में यह भी बताया गया कि 15 अगस्त से सभी शासकीय कार्यालयों में प्री-पेड मीटर लगाए जाएंगे, जिससे लंबित बिलों की समस्या समाप्त होगी और बिजली खर्च पर पारदर्शिता आएगी।
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