केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं चला रही है। इनमें प्रमुख हैं: कृषि अवसंरचना निधि, कृषि विपणन अवसंरचना, एकीकृत बागवानी विकास मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि। इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
यह एक मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्त पोषण सुविधा है, जिसके तहत किसानों और कृषि उद्यमियों को कटाई के बाद के प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों में निवेश हेतु ऋण पर 3% वार्षिक ब्याज अनुदान और ₹2 करोड़ तक के ऋण पर क्रेडिट गारंटी (CGTMSE) दी जाती है।
30 जून 2025 तक इस योजना के तहत 1,13,419 परियोजनाओं के लिए ₹66,310 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे कुल ₹1,07,502 करोड़ का निवेश कृषि क्षेत्र में हुआ है। इन परियोजनाओं में प्रमुख रूप से 30,202 कस्टम हायरिंग सेंटर, 22,827 प्रोसेसिंग यूनिट, 15,982 गोदाम, 3,703 छंटाई एवं ग्रेडिंग यूनिट, 2,454 कोल्ड स्टोरेज और 38,251 अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उपज भंडारण के लिए गोदामों के निर्माण/नवीनीकरण हेतु सहायता प्रदान करती है। इसमें पात्र लाभार्थियों को परियोजना लागत पर 25% से 33.33% तक की सब्सिडी दी जाती है। 1 अप्रैल 2001 से 30 जून 2025 तक कुल 49,796 भंडारण परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनकी संयुक्त भंडारण क्षमता 982.94 लाख मीट्रिक टन है और जिन पर ₹4,829.37 करोड़ की सब्सिडी दी जा चुकी है।
यह एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की भौतिक मंडियों को जोड़ता है और किसानों को कृषि एवं बागवानी उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा देता है। 30 जून 2025 तक e-NAM पर 1.79 करोड़ किसान और 2.67 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं। कुल 12.03 करोड़ मीट्रिक टन एवं 49.15 करोड़ यूनिट (नींबू, सुपारी पत्ता, नारियल आदि) उत्पादों का व्यापार हुआ है, जिसकी कुल कीमत लगभग ₹4.39 लाख करोड़ है।
इसके तहत कटाई के बाद की बुनियादी ढांचे जैसे कोल्ड स्टोरेज एवं कोल्ड रूम आदि के लिए सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35% और पहाड़ी/अनुसूचित क्षेत्रों में 50% तक की सहायता दी जाती है। यह योजना उद्यम-आधारित होती है, जिसमें सहायता क्रेडिट-लिंक्ड और बैकएंडेड होती है।
यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत राज्य सरकारों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए अनुदान दिया जाता है। राज्य इस योजना के अंतर्गत अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार योजनाओं का चयन, योजना बनाना और क्रियान्वयन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
लघु एवं सीमांत किसानों को योजनाओं से प्राप्त सहायता:
(i) क्रेडिट (ऋण) सहायता: AIF के माध्यम से ₹2 करोड़ तक के बिना जमानत वाले ऋण, 3% ब्याज अनुदान के साथ CGTMSE गारंटी कवर में उपलब्ध कराए जाते हैं।
(ii) प्रौद्योगिकी सहायता: AIF पोर्टल के माध्यम से आधुनिक कृषि तकनीकों तक पहुंच, प्रिसिजन फार्मिंग, स्टोरेज और प्रोसेसिंग में सहायता दी जा रही है। PMFBY के अंतर्गत मोबाइल-आधारित CCEs, ड्रोन और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग कर बीमा दावों को शीघ्र निपटाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, ड्रोन दीदी, और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बना रहे हैं।
(iii) सिंचाई सहायता: "हर बूंद ज्यादा फसल" योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2015-16 से 2021-22 तक इसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत लागू किया गया था।