भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीनस्थ कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने पंजाब सरकार के बागवानी विभाग और कृषक श्री प्रभात सिंह के सहयोग से पठानकोट से गुलाब-सुगंधित लीची की पहली खेप 23 जून 2025 को कतर के दोहा के लिए रवाना की। इस खेप में 1 मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया गया, जबकि 0.5 मीट्रिक टन लीची की एक अतिरिक्त खेप दुबई, यूएई भी भेजी गई। यह एक साथ दो देशों को निर्यात की उल्लेखनीय उपलब्धि है।
यह पहल न केवल पंजाब के किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच प्रदान करती है, बल्कि भारत की बागवानी फसलों की गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी दर्शाती है। इस पहल के पीछे APEDA, पंजाब का बागवानी विभाग, लुलु ग्रुप और सुझानपुर के प्रगतिशील किसान श्री प्रभात सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023–24 में पंजाब में 71,490 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हुआ, जो कि भारत के कुल लीची उत्पादन का 12.39 प्रतिशी हिस्सा है। प्रदेश में 4,327 हेक्टेयर भूमि पर लीची की खेती की जाती है, जिसकी औसत उपज 16,523 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
प्रगतिशील किसान श्री प्रभात सिंह जैसे किसानों की सफलता यह दर्शाती है कि पठानकोट, अपनी अनुकूल जलवायु और भूमि के कारण, गुणवत्तापूर्ण लीची उत्पादन और निर्यात का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। इस क्षेत्र से निर्यातित लीची को रेफर पैलेट के माध्यम से प्रीमियम पैकेजिंग में भेजा गया, जो वैश्विक बाजार में इसकी मांग को दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2024–25 (अप्रैल–मार्च) के दौरान भारत का फल और सब्जी निर्यात 3.87 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 5.67% की वृद्धि है। आम, केला, अंगूर और संतरे जैसे पारंपरिक फलों के साथ अब लीची, जामुन और चेरी भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बना रहे हैं।
सरकार का उद्देश्य – वैश्विक कृषि नेतृत्व: भारत सरकार किसानों को सशक्त करने, FPOs और कृषि निर्यातकों को वैश्विक बाजार से जोड़ने और एग्री-एक्सपोर्ट बास्केट को विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है। APEDA की यह पहल भारत को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूत कर रही है।