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कृषिगत विकास की नई दिशा: प्राकृतिक खेती, मोटा अनाज और हनी फार्मिंग से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

प्राकृतिक खेती, मोटा अनाज और हनी फार्मिंग पर ज़ोर
प्राकृतिक खेती, मोटा अनाज और हनी फार्मिंग पर ज़ोर

कृषिगत क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विभागीय अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें कलेक्टर श्रीमती नेहा मीना की अध्यक्षता में कलेक्टर कार्यालय में बैठक की गई। बैठक में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, कृषि यांत्रिकी सहित सभी संबंधित विभागों को संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु समन्वित रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए गए, जिससे निर्धारित समयसीमा में लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

पुसा अरहर-16 की केस स्टडी को मिली राज्यस्तरीय सराहना Pusa Arhar-16 Case Study Receives State-Level Recognition:

कलेक्टर ने जिले में पुसा अरहर-16 के रकबे को 2000 हेक्टेयर तक बढ़ाने के निर्देश दिए। ज्ञात हो कि इस अरहर की प्रजाति को गत वर्ष 205 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया था, जो 122 दिनों में पककर तैयार हो गई। इससे किसानों को रबी में दूसरी फसल लेने का अवसर मिला। इस नवाचार पर कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा केस स्टडी तैयार की गई, जिसका विमोचन 4 जून 2025 को इंदौर में आयोजित संभागीय समीक्षा बैठक में राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अशोक वर्णवाल, कृषि सचिव श्री एम. शेलवेंद्रम एवं इंदौर संभाग के आयुक्त श्री दीपक सिंह द्वारा किया गया। इस कार्य की सराहना राज्य स्तर पर भी हुई है, जिसके लिए कलेक्टर ने समस्त कृषि विभाग और वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी।

प्राकृतिक खेती, मोटा अनाज और हनी फार्मिंग पर ज़ोर:

कलेक्टर ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुफसली और उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। विशेष रूप से टमाटर प्रसंस्करण और रकबे में वृद्धि, शहद उत्पादन (हनी फार्मिंग) और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई। मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी, सांवा आदि फसलों के महत्व को देखते हुए इनके रकबे में वृद्धि और प्रसंस्करण की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

पशुपालन, मत्स्य पालन और यंत्रीकरण को मिलेगा बढ़ावा:

पशुपालन विभाग को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए दुग्ध समितियों और रूट का पुनर्जीवन करने, साथ ही आचार्य विद्यासागर योजना और डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए। मत्स्य पालन विभाग को केज कल्चर आधारित प्रकरण तैयार करने, जलाशयों एवं अमृत सरोवरों में मछली बीजारोपण सुनिश्चित करने और मछली पालन के उत्पादन, विपणन तथा मूल्य संवर्धन पर कार्य करने के निर्देश दिए गए।

कृषि यंत्रीकरण और फार्मगेट सुविधा का विस्तार: कृषि अभियांत्रिकी विभाग को कस्टम हायरिंग केंद्रों में उपलब्ध यंत्रों को किराये पर किसानों को सुलभ कराने हेतु जे-फॉर्म एप का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा गया। साथ ही पेटलावद कृषि उपज मंडी समिति को अपग्रेड करने और फार्मगेट एप पर अधिक से अधिक किसानों का पंजीयन कराने के निर्देश दिए गए। कलेक्टर ने समस्त विभागों से कहा कि वे किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में तकनीकी, व्यावसायिक और नवाचार आधारित प्रयास सुनिश्चित करें।

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